-हाई ग्रेड फीवर के मिले पांच मरीज

-स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन से ली जानकारी

GORAKHPUR:

पूर्वाचल में अभिषाप बनी इंसेफेलाइटिस बीमारी पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। वहीं मेडिकल कॉलेज में हाई ग्रेड फीवर के तीन मरीज भर्ती हुए। वहीं दो मरीज ईटीसी पर भर्ती किए गए। जिनका इलाज चल रहा है। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने हाई ग्रेड फीवर के मिले मरीजों की डिटेल मेडिकल प्रशासन से जुटा रही है।

एक तरफ शासन हाई ग्रेड फीवर वाले मरीजों की पल-पल की खबर ले रही है तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। बीमारी को कंट्रोल करने के लिए जिले में 22 ईटीसी केंद्र बनाए गए हैं। यहां पर बुखार से पीडि़त मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है। अभी तक मेडिकल कॉलेज में तीन, कैंपियरगंज, पिपराइच में एक-एक मरीज हाई ग्रेड फीवर के भर्ती किए जा चुके हैं। जिसकी जांच कराने के बाद इलाज किया जा रहा है।

वर्तमान में पैदा हो रहे मच्छरों में वेक्टर डेंसिटी होती है कम

सीएमओ डॉ। रवींद्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में मच्छर में वेक्टर डेंसिटी कम होती है। उनमें यह डेंसिटी गर्मी और नमी दोनों एक साथ आने के बाद ही बढ़ती है। इंसेफेलाइटिस का सीजन जुलाई अंत से लेकर अक्टूबर अंत तक होता है। जेई के मच्छर उसी दौरान फ्रेस पानी के तले पर पाए जाते हैं। फिर भी रोग के उन्मूलन के लिए हम अभी से सतर्क हैं। फरवरी मार्च में स्वास्थ्य कर्मियों की ट्रेनिंग और उसे रिओरिएंट करने का प्रोग्राम चल रहा है।

सभी ईटीसी सक्रिय

जिले के 22 ईटीसी सक्रिय हैं। अप्रैल और मई माह में चिकित्सा के सभी घटक इंसेफेलाइटिस के लक्षण, बचाव और उपचार की जानकारी विभिन्न माध्यमों से लोगों को देंगे। कहा कि अपने आसपास साफ-सफाई रखें और यदि संभव हो सके तो लोग मच्छरदानी का प्रयोग करें। बुखार होने पर झोलाछाप डॉक्टर्स के पास ना जाएं।

इंटीग्रेटेड फार्म में चलाया जा रहा वार

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ। एके पांडेय ने बताया कि बीमारी से रोकथाम के लिए इंटीग्रेटेड फार्म में अब वार चलाया जा रहा है। शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जल निगम को दी गई है। नालियों और शौचालयों के साफ-सफाई की जिम्मेदारी डीपीआरओ और कुपोषितों को पोषित करने की जिम्मेदारी आइसीडीएस पर है।

पशुपालन विभाग को मिली जिम्मेदारी

पशुपालन विभाग को इस टीम में अलग से जिम्मेदारी दी गई है। सभी टीमें एक उद्देश्य से एक साथ अपना काम कर रही हैं। पंचायतों में विलेज हेल्थ कमेटी गठित की गई है। जिसके खाते में 10 हजार की धनराशि पहुंचा दी गई है। ये इस धनराशि से साफ-सफाई और छिड़काव की व्यवस्था कर रहे हैं। छिड़काव करने के लिए मशीनें पीएचसी पर उपलब्ध करा दी गई हैं।