ये ambulances होंगी modified

कुछ समय पहले डिस्ट्रिक्ट हेल्थ डिपार्टमेंट को उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाएं के तहत 22 एम्बुलेंस प्रोवाइड कराई गई थीं। इनमें से 20 को रूरल में और दो एम्बुलेंस बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल को प्रोवाइड कराई गई थीं। इनका काम डिलीवरी के बाद फीमेल पेशेंट्स को घर तक ड्रॉप करना था। इसके अलावा इनसे कई तरह की सर्विसेज भी ली जा रही थीं। वहीं 102 नेशनल एम्बुलेंस सेवा की घोषणा के बाद लगा कि यूपी गवर्नमेंट इलाहाबाद को नई एम्बुलेंसेज प्रोवाइड कराएगी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। अब इन्हीं पुरानी 22 एम्बुलेंसेज को मोडीफाइड कराया जा रहा है। इन एम्बुलेंस ये अदर सर्विसेज भी ली जाती थीं जो प्रभावित हो सकती हैं-

- इमरजेंसी में ट्रांसपोर्टेशन ऑन पेमेंट किया जाता था।

- वीआईपी ड्यूटी में इनका अक्सर यूज होता है।

- 2013 में आई बाढ़ में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाएं एम्बुलेंस का काफी अहम रोल रहा है।

- माघ और कुंभ मेले में इनका जबरदस्त यूज किया जाता है।

ये हो सकती हैं problems

जल्दी ही सभी 22 एम्बुलेंसेज को मोडिफिकेशन के लिए लखनऊ भेजा जाएगा और फिर सेकेंड फेज में इन्हें 102 नेशनल एम्बुलेंस सेवा में लगा दिया जाएगा। इस सेवा को केवल प्रेगनेंट फीमेल के लिए यूज किया जाएगा। हालांकि हेल्थ डिपार्टमेंट के सोर्सेज की मानें तो नो डाउट यह सर्विस बहुत बेटर साबित होगी लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि इलाहाबाद जैसे शहर को इस सर्विस के लिए नई एम्बुलेंस की दरकार थी। इतना ही नहीं गवर्नमेंट की ओर से भी शुरुआत में नई एम्बुलेंस देने का इशारा किया गया था लेकिन अचानक पुरानी एम्बुलेंस को मोडीफाइड किए जाने का फैसला ऑफिसर्स के गले नहीं उतर रहा है। बता दें कि इलाहाबाद में हर साल एपिडेमिक, मेले और वीआईपी ड्यूटी के लिए अलग से एम्बुलेंस की आवश्यकता होती है।

नहीं बढ़ेगी संख्या

वर्तमान में डिस्ट्रिक्ट के पास कुल 49 एम्बुलेंस मौजूद हैं। इनमें 22 उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाएं, 24 108 एम्बुलेंस सेवाएं और तीन एम्बुलेंस बेली, कॉल्विन और डफरिन हॉस्पिटल में मौजूद हैं। जनवरी, फरवरी मार्च में माघ मेला, मई से सितंबर के बीच बाढ़ की संभावना आदि और फिर वीआईपी ड्यूटी के चलते अक्सर इन एम्बुलेंसेज का एक्स्ट्रा यूज किया जाता है। सोर्सेज का कहना है कि अगर संख्या बढ़ती तो ठीक था लेकिन प्रजेंट सिचुएशन में प्रॉब्लम क्रिएट हो सकती है।

चली जाएंगी private sector के हाथ में

मोडीफाइड होने के बाद यह एम्बुलेंसेज 108 सेवा को चलाने वाली प्राइवेट संस्था जीवी के हाथों में चली जाएंगी। 102 नेशनल एम्बुलेंस सेवा में भी 102 नंबर डॉयल करते ही रूरल मेंं 30 और अर्बन में 20 मिनट के भीतर ये एम्बुलेंस पहुंच जाएंगी। मोडीफिकेशन के तहत इनमें फ्लेक्सिबल बेड, मॉनीटर और स्ट्रेचर आदि अलग से लगाई जानी हैं। जीपीएस यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम बेस्ड इन एम्बुलेंस की लोकेशन भी पता लगाई जा सकेगी। हालांकि इस मामले को लेकर परेशान हेल्थ डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।