कई गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं उत्तराखंड में, जाना पड़ता है दिल्ली

लचर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते सड़क पर डिलीवरी के मामले भी आते हैं सामने

देहरादून।

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मामला पीएमओ तक पहुंच गया है। देहरादून सहित पूरे राज्य में कई गंभीर बीमारियों का इलाज ही उपलब्ध नहीं और प्रसव कालीन सेवाओं की हालत यह है कि हाल के महीनों में सड़कों पर डिलीवरी होने के मामले तक सामने आ चुके हैं। राज्य पलायन आयोग की रिपोर्ट भी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को पलायन का एक बड़ा कारण बता रही है। समाजसेवी अजय सिंह की ओर से दिए गए इस पत्र के माध्यम से बताया गया है कि उत्तराखंड में कई गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता है।

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दिल्ली के काटने पड़ते हैं चक्कर

पत्र में कहा गया है कि आए दिन सड़क पर प्रसव होना, एंबुलेंस न मिलना और जनता का निजी चिकित्सा पर निर्भर होना पड़ता है। गंभीर बीमारी और ऑपरेशन के लिए लोगों को दिल्ली के अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं। उन्होंने 27 जून को स्वयं साउथ ब्लॉक स्थित पीएमओ जाकर पत्र सौंपा। उनका कहना है कि राज्य आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में है। पलायन के कारण सैकड़ों गांव घोस्ट विलेज बन चुके हैं।

पीएमओ ने दिया रिस्पांस

अजय ने बताया कि पीएमओ ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। मंत्रालय की ओर से उत्तराखंड के एनएचएम डायरेक्टर की कार्रवाई के लिए मामला भेज दिया गया है।

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इन सुविधाओं की उठाई मांग

1. अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानदंडों के अनुरूप डॉक्टरों, नसरें एवं फार्मासिस्ट आदि की नियुक्ति 6 माह के अंदर राज्य सरकार को निर्देश जारी करें।

2. उत्तराखंड के 13 जिला अस्पतालों को मल्टी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया जाए, ताकि अपने-अपने जिले में मरीजों को उच्च स्तर की सुविधा प्राप्त हो सके।

3. पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन दुर्घटनाएं, प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं। अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नही है। घायलों को देहरादून रेफर किया जाता है.जिस कारण मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं अत: प्रदेश के हर जिला चिकित्सालय में एक एक ट्रामा सेंटर और आइसीयू बनवाए।

4. पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की स्वास्थ्य समस्याओं के निदान के लिए स्वास्थ्य पैकजे उपलब्ध कराएं।

5.गाँव के अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत वैलनेस सेंटर में तब्दील कर उनमें ब्लड शुगर, किडनी, लिवर, हृदय जैसी सामान्य जांचें नि:शुल्क हों।

6. गढ़वाल मंडल के श्रीनगर मेडिकल कालेज को एम्स अस्पताल और कुमाऊं के अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को पीजीआई संस्थान में तब्दील कर दिया जाए, ताकि केंद्र इसका संचालन करे।

7. उत्तराखंड में सचल चिकित्सा वाहन, लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस की सुविद्या उपलब्ध कराई जाए।

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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। इसे सुधारे जाने के लिए पीएमओ को पत्र दिया गया है। जिस पर रिस्पांस भी मिला है।

अजय कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता