- क्षेत्र में प्रसव और टीकाकरण की सुविधा के लिए होना था 73 स्वास्थ्य उपकेंद्रों का निर्माण

- जमीन की अनुपलब्धता बनी राह का रोड़ा, सिर्फ 30 के लिए शुरू हो सका है कार्य

ग्रामीण एरिया के मरीजों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। उनको नजदीकी केंद्रों पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उददेश्य से स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण की योजना सरकारी शिथिलता का शिकार हो गयी है। कई महीनों बाद भी आधे से कम केंद्रों के लिए जमीन मुहैया हो पाई है। ऐसे में इन मरीजों के इलाज के लिए शहर आने की दिक्कत उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

7फ् केंद्रों के लिए खोजनी थी जमीन

उत्तर प्रदेश सरकार की मशांनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 7फ् स्वास्थ्य उपकेंद्रों का निर्माण होना था। इनमें से अभी तक महज फ्8 के लिए ही जमीन मिल सकी है और तीस केंद्रों का निर्माण कार्य ही शुरू हो सका है। बाकी फ्भ् केंद्रों के लिए कई महीनों बाद भी जमीन नहीं खोजी जा सकी है। ऐसे में एक बार फिर सरकारी मशीनरी की लापरवाही के चलते सरकारी योजनाओं की किरकिरी होने की संभावना बन चुकी है।

महिलाओं के लिए थी सुविधाएं

सरकार की चाहती है कि ग्रामीण एरिया के मरीजों, खासकर महिलाओं को प्रसव व टीकाकरण के लिए शहर न आना पड़े। जिससे शहर के हॉस्पिटल्स पर कम भार पड़ेगा और महिलाओं को गांव में ही इलाज की सुविधाएं मिल जाएंगी। बता दें कि तीन कमरों में बनने वाले इन उपकेंद्रों की बागडोर एएनएम के हाथ में होगी। उनकी सहायता के लिए एक वार्ड ब्वाय भी तैनात किया जाएगा। शासन की अनुमति मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए, लेकिन जमीन की अनुपलब्धता राह में रोड़ा बन गई। काफी मशक्कत के बाद फ्8 उपकेंद्रों के लिए ही जमीन उपलब्ध हो पाई है। इसमें से फ्0 स्थानों पर निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया गया। फ्भ् उपकेंद्रो के लिए अभी जमीन ही तलाशी जा रही है। जमीन न मिलने के कारण उक्त उपकेंद्रों का निर्माण अधर में लटक गया है।

- जिन उपकेंद्रों के लिए जमीन मिल गई है, वहां निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है। फ्भ् उपकेंद्रों के लिए जमीन तलाशने की मुहिम तेज कर दी गई है।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, इलाहाबाद