RANCHI:रिम्स में हीमोफीलिया का 3 साल का मरीज गुरुवार को फैक्टर के लिए तड़पता रहा, लेकिन उसे इमरजेंसी में फैक्टर उपलब्ध नहीं कराया गया। रिम्स पहुंचने के बाद भी चार घंटे तक उसे फैक्टर केवल इसलिए नहीं मिला, क्योंकि फाइल पर डॉक्टर का साइन जरूरी था। हारकर उसके परिजन भागते हुए हीमोफीलिया ट्रीटमेंट सेंटर पहुंचे और इसकी शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें परिजन मोबिन अख्तर ने यह लिखा है कि अगर मरीज को किसी तरह की क्षति होती है, तो इसके लिए रिम्स प्रबंधन जिम्मेवार होगा। साथ ही लापरवाही करने वाले स्टाफ्स पर भी कार्रवाई की मांग की है।

रिम्स इमरजेंसी में फैक्टर देने से इनकार

रांची के रहने वाले रंजीत को घुटने में ब्लीडिंग हो रही थी। ऐसे में वह गुरुवार को रिम्स इमरजेंसी पहुंचा। लेकिन उसे फैक्टर देने से मना कर दिया गया। जबकि इमरजेंसी में फैक्टर अवेलेबल था। काफी देर गिड़गिड़ाने के बाद नर्स ने उसे फैक्टर चढ़ाया। इसके बाद वह मामले की कंप्लेन लेकर डायरेक्टर से मिलने पहुंचा। लेकिन वहां से उसे मेडिकल आफिसर के पास भेज दिया गया। इस मामले में रंजीत ने डायरेक्टर के पास व्यवस्था में सुधार की कंप्लेन की है, ताकि हीमोफीलिया के मरीजों को भटकने की जरूरत न पड़े।

वर्जन

अगर फैक्टर रिम्स में अवेलेवल है तो तत्काल मरीज को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। हमारे सेंटर में इमरजेंसी के लिए कुछ फैक्टर बचे है ताकि गंभीर मरीजों को उपलब्ध कराया जा सके।

-संतोष कुमार जायसवाल, प्रेसीडेंट, हीमोफीलिया सोसायटी