-आठ जून 2015 को पुलिस व नक्सली में हुई कथित भिड़ंत में मारे गए थे 12

-मारे गए उदय यादव के रिश्तेदार जवाहर यादव ने दाखिल की है याचिका

रांची : हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की कोर्ट में गुरुवार को पलामू जिले के सतबरवा के बकोरिया गांव में वर्ष 2015 में कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की सीबीआइ जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार ने कोर्ट को बताया कि आठ जून 2015 को सतबरवा में पुलिस ने फर्जी नक्सली मुठभेड़ दिखा कर 12 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। जिसमें पांच नाबालिग हैं।

नहीं लिया गया सीडीआर

उन्होंने इस केस से जुड़े कुल 22 बिन्दुओं को कोर्ट के समक्ष रखा। कहा कि प्राथमिकी में दर्ज 117 खोखा को पुलिस ने सीज नहीं किया है। जांच के दौरान मुठभेड़ में शामिल पुलिस वाले एवं मारे गए लोगों का सीडीआर भी नहीं लिया गया है। उनके पास से जो हथियार बरामद होना दिखाया गया है, वह किसी काम के नहीं थे। पुलिस ने उन हथियारों को सात जुलाई 2015 को बरामद होना दिखाया है। जिसे रिपेयर करके गोली चलाई गई है। जिस वाहन पर पुलिस ने गोली चलाई थी। उस पर गोली के निशान तो थे, लेकिन वाहन में कहीं पर भी खून के छींटे नहीं मिले हैं। सीआइडी की जांच पर इनको भरोसा नहीं है। इसलिए इन्होंने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की।

क्रिमिनल रिट की है दाखिल

बता दें कि प्रार्थी जवाहर यादव ने क्रिमिनल रिट याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि मुठभेड़ से पहले की रात को पुलिस उनके रिश्तेदार उदय यादव को उसके घर से अपने साथ ले गई थी। बाद में उदय यादव का शव बरामद किया गया। जिसे पुलिस नक्सली मुठभेड़ बता रही है। इस मुठभेड़ में उदय यादव सहित 12 निर्दोष लोगों की हत्या की गई है। प्रार्थी ने मामले की सीबीआइ से जांच की मांग की है।

यह है मामला

पुलिस की माने तो आठ जून 2015 की देर रात पुलिस सतबरवा के बकोरिया गांव के पास सर्च अभियान चला रही थी। इस दौरान पुलिस पर नक्सलियों ने गोलीबारी प्रारंभ कर दी थी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 12 नक्सली मारे गये थे। पुलिस ने जानकारी दी थी कि करीब तीन घंटे तक मुठभेड़ चली और घटना स्थल से पुलिस ने एक वाहन, 8 रायफल, 250 कारतूस आदि जब्त किया था।