क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस एके चौधरी की अदालत में रांची-जमशेदपुर फोरलेन निर्माण में वित्तीय अनियमितता मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने सीबीआइ जांच पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सीबीआइ ने इस मामले में दुर्भावना से प्रेरित होकर प्राथमिकी दर्ज की है. आठ माह तक सीबीआइ ने कुछ नहीं किया और जब कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की तो सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) की रिपोर्ट को आधार बनाकर प्राथमिकी दर्ज कर दी. प्राथमिकी में मात्र कंपनी के अधिकारियों को नामजद बनाया गया है, लेकिन बैंक के अधिकारियों की भूमिका पर अभी जांच शुरू नहीं होने से प्रतीत होता है कि वह किसी को बचाने का प्रयास कर रही है.

आर्थिक अपराध से जुड़ा मामला

कोर्ट ने कहा कि यह मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा है. इसकी जांच सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से की जानी चाहिए लेकिन शपथपत्र देखने के बाद पता चला कि सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) ने प्राथमिकी दर्ज की है. कोर्ट ने कहा कि अगर सीबीआइ के पास आर्थिक अपराध की जांच के लिए संसाधन नहीं थे तो इससे कोर्ट को अवगत करना चाहिए था. इतना समय क्यों लिया गया? अब सीबीआइ की ओर से फॉरेंसिक ऑडिट के लिए बैंककर्मियों की सहायता मांगी जा रही है. सीबीआइ इसके लिए स्वतंत्र इंजीनियर की सहायता ले सकती थी.

स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें

अदालत ने कहा कि इस मामले में एसएफआइओ की रिपोर्ट पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है, जिससे पता चलता है कि सीबीआइ ने मामले में गंभीरता से प्रारंभिक जांच नहीं की है. अगर सही जांच होती तो सिर्फ संवेदक के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज नहीं होती बल्कि बैंक के अधिकारियों की भूमिका भी सामने आती. अदालत ने सीबीआइ से जांच की अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

1311 करोड़ में होगा बचा निर्माण

सुनवाई के दौरान एनएचएआइ की ओर से बताया गया कि बाकी बचे काम के लिए चार फेज में टेंडर कर दिया गया है. इसके लिए चार कंपनियों को करीब 1311 करोड़ रुपये का कार्य आवंटित किया जाएगा. इसके लिए लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (एलओए) जारी कर दिया गया है. करीब 28 दिनों में कार्यादेश का आवंटन कर दिया जाएगा. सड़क निर्माण के बाद टोल वसूलने का काम संवेदक नहीं करेगी. एनएचएआइ अपनी एजेंसी से टोल वसूलेगी.

एनएचएआइ ने नहीं बताया ओटीएस

बैंक की ओर से अदालत को बताया गया कि एनएचएआइ वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) की राशि के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दे रही है. कंपनी को इस कार्य से हटा दिया गया है, इसकी वजह से बैंक का पैस डूब जाएगा. जब तक इसकी जानकारी नहीं मिलेगी बैक आगे की कार्रवाई करने में असमर्थ रहेगा. इसके बाद कोर्ट ने एनएचएआइ को इसकी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

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एनएचएआइ का पेड़ों पर ध्यान नहीं (बाक्स)

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस एके चौधरी की अदालत में सड़क निर्माण में काटे जा रहे पेड़ों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि एनएचएआइ सिर्फ सड़क बनाने पर ही ध्यान दे रही है, उनका ध्यान पेड़ों की सुरक्षा पर नहीं है. यह गंभीर मामला है, इसके बारे में कोई नहीं सोच रहा है. दो साल पहले हजारीबाग से रांची के सड़क को चौड़ा किया गया है, लेकिन सड़क के किनारे कोई पेड़ नजर नहीं आता है. सुनवाई के दौरान एनएचएआइ की ओर से अदालत में शपथ पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि सड़क के किनारे पौधे लगाए जा रहे हैं. इसके लिए सड़क निर्माण करने वाली कंपनी ने एजेंसी को काम सौंपा था, लेकिन पौधे लगाने के बाद कंपनी ने काम छोड़ दिया. अब इसका काम एनएचएआइ की ओर से एजेंसी के जरिए कराया जाएगा.

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