Ranchi :  ओटी बनाने का जिम्मा विशाल सर्जिकल एजेंसी को मिला है। एजेंसी को 15 फरवरी तक ऑपरेशन थिएटर हैंडओवर करने को कहा गया है। ओटी चालू हो जाने के बाद यहां के मरीजों को हार्ट सर्जरी के लिए दिल्ली-वेल्लोर समेत बड़े शहरों के बड़े हॉस्पिटल का चक्कर नहीं लगाना होगा। इधर, हॉस्पिटल के सुपर स्पेशियलिटी विंग में सीटीवीएस ओपीडी खुलने के बाद से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां वस्कुलर सर्जरी कर 5 मरीजों की जान भी बचाई जा चुकी है।

 

6 माह में आए 750 मरीज

कार्डियक सर्जन डॉ अंशुल ने छह महीने पहले ही रिम्स के सीटीवीएस में योगदान दिया था। यहां 6 महीने में 750 मरीज अपने दिल का इलाज करा चुके हैं। इसमें मेडिसीन, टीबी चेस्ट और ट्रामा के मरीज भी शामिल हैं। इन्हें कार्डियक कंसल्ट के लिए डॉ.अंशुल के पास रेफर किया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब दिल के मरीजों का रिम्स पर भरोसा बढ़ा है।

 

23 स्टाफ की है जरूरत

डॉ अंशुल ने बताया कि ओपन हार्ट सर्जरी के लिए फ‌र्स्ट फेज में डॉक्टर समेत 23 स्टाफ्स की जरूरत पड़ेगी। इसमें नर्सिग स्टाफ और असिस्टेंट भी शामिल हैं। इसके अलावा यहां मरीजों को फालोअप में रखा गया है। कार्डियक सर्जरी शुरू होते ही पहले उन्हीं मरीजों को अप्रोच किया जाएगा। वैसे, इमरजेंसी वाले मरीजों को इलाज के लिए रेफर कर दिया जा रहा है।

 

वेल्लोर व दिल्ली से भी कर रहे रिम्स रेफर

डॉ अंशुल ने बताया कि हार्ट की सर्जरी होने के बाद मरीजों को फॉलो अप के लिए बुलाया जाता है। ऐसे में रांची समेत झारखंड के जिन मरीजों ने दिल्ली अथवा वेल्लोर के हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी कराई है, उन्हें फॉलो अप के लिए वे रिम्स भेज रहे हैं। इनका कहना है कि रिम्स में कार्डियक सर्जन उपलब्ध हैं, तो उन्हें फॉलो अप के लिए फिर से आने की बहुत जरूरत नहीं है।

 

पांच मरीजों की हुई वस्कुलर सर्जरी

रिम्स में इलाज कराने के लिए पूरे राज्य से मरीज आते हैं। इनमें ट्रामा सेंटर के भी मरीज शामिल हैं। यहां कार्डियो थोरेसिक वस्कुलर सर्जरी यूनिट चालू हो जाने के बाद से पांच मरीजों की जान बचाई जा चुकी है। इससे पहले यहां वस्कुलर डैमेज वाले मरीजों को दूसरे हास्पिटल या प्लास्टिक सर्जन के पास रेफर किया जाता था।