हमारा टाइम तो बचाइए


 Heavy traffic makes hurdle for children



Allahabad : एक समय था, जब सिविल लाइंस से करेली जाने में ज्यादा से ज्यादा बीस मिनट लगते थे, लेकिन जिस हिसाब से सिटी में ट्रैफिक बढ़ा है। उसके बाद दोपहर और शाम के समय घंटे भर का समय लग जाता है। ये हाल सिर्फ करेली की ओर जाने वाले रास्ते का ही नहीं है। सिविल लाइंस से कई ऐसे एरिया हैं, जहां जाने में लंबा समय लगने लगा है। जबकि इनकी दूरी महज पांच से आठ किलो मीटर की होती है। गर्मी के मौसम में दोपहर में स्कूलों की छुट्टियों के समय सबसे अधिक प्रॉब्लम स्कूलों के बच्चों को झेलनी पड़ती है। जो बस और ऑटो में बैठकर घंटों जगह-जगह पर जाम से जूझ रहे होते हैं। सिटी में नए एसएसपी आए या फिर डीएम सभी ने ट्रैफिक प्रॉब्लम को दूर करने की की। लेकिन जाम से जूझ रहे शहरियों को इससे निजात नहीं मिल पायी है. 

 इन एरिया में लगता है लंबा जाम


सिटी के कई ऐसे भीड़-भाड़ वाले एरिया हैं, जहां लंबा जाम स्कूल की छुट्टियों के समय लग जाता है। सिविल लाइंस और इसके आस-पास के एरिया में स्थित स्कूल को म्योहाल चौराहा, हनुमान मंदिर चौराहा, पानी की टंकी चौराहा, स्टेशन चौराहा, खुल्दाबाद चौराहा, जानसेनगंज चौराहा जैसे एरिया से होकर गुजरने में सबसे अधिक टाइम लगता है। इन चौराहों पर दोपहर में सबसे अधिक जाम की प्रॉब्लम बनी रहती है। जाम से जूझने वाले इन चौराहों पर मौजूद एक या दो ट्रैफिक पुलिस के एसआई व सिपाही किसी तरह जाम को हटाने में जूझते रहते हैं। लेकिन इन रूटों पर ट्रैफिक प्रेशर इतना अधिक होता है कि इन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. 

आखिर घर कब पहुंचेंगे

सिटी के लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में छुट्टियों के होने का टाइम लगभग एक ही है। सिर्फ कुछ मिनटों के अंतर पर इन स्कूलों से हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स अपने घरों के लिए निकलते हैं। जिससे अचानक रोड पर ट्रैफिक लोड बढ़ जाता है। जाम से जूझ रही सिटी के लिए यह टाइम सबसे ज्यादा मुश्किलों भरा होता है। इन बच्चों में सबसे अधिक वे शामिल होते हैं, जो स्कूल बस या फिर विक्रम को यूज करते हैं। गर्मी के दौरान जाम इनके लिए सबसे अधिक मुश्किलें पैदा करने वाला होता है। बस और विक्रम की खिड़कियों से झांकते बच्चे सिर्फ यही सोचते हैं कि आखिर घर कब पहुंचेंगे. 

12.30 से शुरू होती हैं स्कूलों की छुट्टियां 

सिटी के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों की छुट्टियों का टाइमिंग दोपहर बारह बजे से शुरू होकर डेढ़ बजे तक होती है। इसके बाद जाम से जूझ रही सिटी की रोड पर अचानक और प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके बाद स्कूल के आसपास चौराहों के साथ ही दूसरे प्रमुख चौराहों पर भी लंबा जाम लगने लगता है। जो हर एक से डेढ़ किमी के दायरे में लगता है। इसी वजह से बच्चों को स्कूल से अपने घर पहुंचने में एक से डेढ़ घंटे का एक्स्ट्रा टाइम लगता है। ऐसे बच्चों के पैरेट्स भी खासे परेशान रहते हैं। पैरेट्स का कहना है कि उनके पास इस प्रॉब्लम का कोई सॉल्यूशन नहीं है. 

पुराने शहर में जाने का दूसरा रास्ता नहीं 

सिटी में सबसे ज्यादा स्कूल व कालेज सिविल लाइंस में हैं। पैरेंट्स अच्छी एजूकेशन के चक्कर में अपने बच्चों का एडमिशन इसी एरिया के स्कूलों में कराने को प्राथमिकता देते हैं। जिसके कारण सिविल लाइंस में स्थित स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या हजारों में है। दोपहर में स्कूल की छुट्टी होने पर सबसे ज्यादा प्रॉब्लम पुराने शहर में रहने वाले स्टूडेंंट्स को उठानी पड़ती है। पुराने शहर की ओर जाने के लिए स्कूल बसों को जानसेनगंज या पानी की टंकी से होकर जाना पड़ता है, लेकिन दोनों ही रूट पर जाम की स्थिति लगभग एक जैसी ही होती है। इसलिए बच्चों को गर्मी में पिसने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है. 

60 स्कूलों में दो हजार बच्चे

सिटी में सीबीएसई, आईसीएसई व यूपी बोर्ड के स्कूलों को मिलाकर कुल लगभग 60 ऐसे स्कूल हैं, जहां पढऩे वाले लगभग दो हजार बच्चे प्रतिदिन स्कूल बस से आते-जाते हैं। इसमें बस, ऑटो और रिक्शा शामिल है। जाम के चक्कर में इन वाहनों से घर जाने वाले बच्चों की हालत पस्त हो जाती है। स्कूल से घर पहुंचने में उन्हें एक घंटे से भी अधिक समय लगता है. 

चौराहे जहां अक्सर लगते हैं जाम


म्योहाल चौराहा
हनुमान मंदिर चौराहा
पानी की टंकी चौराहा 
स्टेशन चौराहा 
खुल्दाबाद चौराहा 
जानसेनगंज चौराहा 


ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जाम लगने वाले चौराहों पर फोर्स भी लगाई गई है। भयंकर जाम लगने की स्थिति में धीरे-धीरे उसे समाप्त किया जाता है. 
अजय कुमार सिंह
एसपी ट्रैफिक

  इन एरिया में लगता है लंबा जाम

सिटी के कई ऐसे भीड़-भाड़ वाले एरिया हैं, जहां लंबा जाम स्कूल की छुट्टियों के समय लग जाता है। सिविल लाइंस और इसके आस-पास के एरिया में स्थित स्कूल को म्योहाल चौराहा, हनुमान मंदिर चौराहा, पानी की टंकी चौराहा, स्टेशन चौराहा, खुल्दाबाद चौराहा, जानसेनगंज चौराहा जैसे एरिया से होकर गुजरने में सबसे अधिक टाइम लगता है। इन चौराहों पर दोपहर में सबसे अधिक जाम की प्रॉब्लम बनी रहती है। जाम से जूझने वाले इन चौराहों पर मौजूद एक या दो ट्रैफिक पुलिस के एसआई व सिपाही किसी तरह जाम को हटाने में जूझते रहते हैं। लेकिन इन रूटों पर ट्रैफिक प्रेशर इतना अधिक होता है कि इन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. 

आखिर घर कब पहुंचेंगे

सिटी के लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में छुट्टियों के होने का टाइम लगभग एक ही है। सिर्फ कुछ मिनटों के अंतर पर इन स्कूलों से हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स अपने घरों के लिए निकलते हैं। जिससे अचानक रोड पर ट्रैफिक लोड बढ़ जाता है। जाम से जूझ रही सिटी के लिए यह टाइम सबसे ज्यादा मुश्किलों भरा होता है। इन बच्चों में सबसे अधिक वे शामिल होते हैं, जो स्कूल बस या फिर विक्रम को यूज करते हैं। गर्मी के दौरान जाम इनके लिए सबसे अधिक मुश्किलें पैदा करने वाला होता है। बस और विक्रम की खिड़कियों से झांकते बच्चे सिर्फ यही सोचते हैं कि आखिर घर कब पहुंचेंगे. 

12.30 से शुरू होती हैं स्कूलों की छुट्टियां 

सिटी के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों की छुट्टियों का टाइमिंग दोपहर बारह बजे से शुरू होकर डेढ़ बजे तक होती है। इसके बाद जाम से जूझ रही सिटी की रोड पर अचानक और प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके बाद स्कूल के आसपास चौराहों के साथ ही दूसरे प्रमुख चौराहों पर भी लंबा जाम लगने लगता है। जो हर एक से डेढ़ किमी के दायरे में लगता है। इसी वजह से बच्चों को स्कूल से अपने घर पहुंचने में एक से डेढ़ घंटे का एक्स्ट्रा टाइम लगता है। ऐसे बच्चों के पैरेट्स भी खासे परेशान रहते हैं। पैरेट्स का कहना है कि उनके पास इस प्रॉब्लम का कोई सॉल्यूशन नहीं है. 

पुराने शहर में जाने का दूसरा रास्ता नहीं 

सिटी में सबसे ज्यादा स्कूल व कालेज सिविल लाइंस में हैं। पैरेंट्स अच्छी एजूकेशन के चक्कर में अपने बच्चों का एडमिशन इसी एरिया के स्कूलों में कराने को प्राथमिकता देते हैं। जिसके कारण सिविल लाइंस में स्थित स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या हजारों में है। दोपहर में स्कूल की छुट्टी होने पर सबसे ज्यादा प्रॉब्लम पुराने शहर में रहने वाले स्टूडेंंट्स को उठानी पड़ती है। पुराने शहर की ओर जाने के लिए स्कूल बसों को जानसेनगंज या पानी की टंकी से होकर जाना पड़ता है, लेकिन दोनों ही रूट पर जाम की स्थिति लगभग एक जैसी ही होती है। इसलिए बच्चों को गर्मी में पिसने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता है. 

60 स्कूलों में दो हजार बच्चे

सिटी में सीबीएसई, आईसीएसई व यूपी बोर्ड के स्कूलों को मिलाकर कुल लगभग 60 ऐसे स्कूल हैं, जहां पढऩे वाले लगभग दो हजार बच्चे प्रतिदिन स्कूल बस से आते-जाते हैं। इसमें बस, ऑटो और रिक्शा शामिल है। जाम के चक्कर में इन वाहनों से घर जाने वाले बच्चों की हालत पस्त हो जाती है। स्कूल से घर पहुंचने में उन्हें एक घंटे से भी अधिक समय लगता है. 

चौराहे जहां अक्सर लगते हैं जाम

म्योहाल चौराहा

हनुमान मंदिर चौराहा

पानी की टंकी चौराहा 

स्टेशन चौराहा 

खुल्दाबाद चौराहा 

जानसेनगंज चौराहा 

ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जाम लगने वाले चौराहों पर फोर्स भी लगाई गई है। भयंकर जाम लगने की स्थिति में धीरे-धीरे उसे समाप्त किया जाता है. 

अजय कुमार सिंह

एसपी ट्रैफिक