-रोड एक्सीडेंट में जा रही डेढ़ लाख से अधिक जानें

-हेलमेट न पहनना युवाओं पर पड़ रहा भारी

LUCKNOW: युवाओं की मौत की आज सबसे बड़ी वजह रोड एक्सीडेंट है। सरकार ने रोड एक्सीडेंट को कम करने के लिए सड़कों की हालत बेहतर कर दी है, लेकिन युवा और समाज समय के साथ जागरुक नहीं हुआ। शायद यही कारण है कि लोगों की मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण रोड एक्सीडेंट बन गया है। उनमें भी हेलमेट न लगाने के कारण आज सबसे अधिक युवाओं की जानें जा रही हैं। हेलमेट अनिवार्य रूप से पहन कर निकलें तो बड़ी संख्या में मौतों को कम किया जा सकता है। यह जानकारी बुधवार को केजीएमयू में एटीएलएस पर आयोजित प्रोग्राम में नई दिल्ली स्थित एम्स के पूर्व निदेशक व एम्स के जेपीएन अपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रथम निदेशक डॉ। एमसी मिश्रा ने दी।

जान जाने का कारण रोड एक्सीडेंट

डॉ। एमसी मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1999 मरीजों की मौत के मामले में रोड एक्सीडेंट 9वें नंबर पर था। अब यह तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। रोड एक्सीडेंट के कारण ही लोग सबसे अधिक डिसएबिलिटी के शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रोडक्टिव एज ग्रुप में 40.8 फीसद मौतें रोड एक्सीडेंट के कारण हो रही हैं जबकि 16.4 फीसद हार्ट की बीमारियों, करीब 18 फीसद कैंसर जैसी समस्याएं और 24.8 फीसद अन्य बीमारियां हैं। रोड एक्सीडेंट में भी डेथ होने का सबसे अधिक कारण हेलमेट न लगाना है।

बढ़ाई जाए ट्रॉमा सेंटर्स की संख्या

डॉ। एमसी मिश्रा ने बताया कि केजीएमयू की तरह आस पास के इलाकों में ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने चाहिए। केजीएमयू का इकलौता ट्रॉमा सेंटर होने के कारण मरीजों की भीड़ की वजह से मरीजों को क्वालिटी इलाज नहीं मिल पा रहा है। ट्रॉमा का कांसेप्ट सीएचसी पीएचसी लेवल तक ले जाया जाना चाहिए। इन अस्पतालों में डॉक्टर्स ऐसे होने चाहिए कि वे ट्रॉमा को पहचान सकें। क्या क्या चोट किन अंगों में लगी इसे पहचान लेंगे तो वे मरीज को फ‌र्स्ट एड देकर सही अस्पताल में रेफर कर सकते हैं। प्रोग्राम में केजीएमयू के वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट, सीएमएस डॉ। एसएन शंखवार, डॉ। बीके ओझा, प्रो। संदीप तिवारी, डॉ। समीर मिश्रा, डॉ। सुरेंद्र कुमार सहित अन्य डॉक्टर्स व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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सीधे हायर सेंटर पर जाए मरीज

डॉ। समीर मिश्रा ने बताया कि अभी कोई एक्सीडेंट होने पर एंबुलेंस चालक उसे निकटतम अस्पताल ले जाता है। वहां से जिला अस्पताल और फिर वहां से ट्रॉमा सेंटर रेफर किया जाता है। जबकि होना ये चाहिए कि बीमारी की गंभीरता को देखते हुए उसे उचित सेंटर पर इलाज के लिए सीधे ले जाया जाए। अभी मरीज चक्कर काटता रहता है और इलाज का समय बीत जाता है। साथ ही मरीज को रेफर किए जाते समय बड़े अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर को इसकी सूचना दी जानी चाहिए। जिससे वहां पर पहले से व्यवस्था की जा सके।

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मल्टी टास्किंग के लिए दी जाए ट्रेनिंग

डॉक्टर्स ने बताया कि आज कुछ कंपनियों के ड्राइवर ड्राइविंग के साथ फोन पर बात भी करते हैं और मोबाइल पर लोकेशन भी देखते हैं। इसी गलती के कारण वे एक्सीडेंट कर बैठते हैं इसलिए ऐसे ड्राइवरों को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। नागरिकों को भी रोड पर चलते समय ट्रैफिक रूल्स फॉलो करने के लिए जागरुक होना चाहिए। अनियंत्रित ड्राइविंग के कारण रोड पर बच्चे, पैदल यात्री, साइकिलिस्ट और बूढ़े लोगों को सबसे अधिक खतरा रहता है।

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लगातार बढ़ रही रोड एक्सीडेंट में मौतें

वर्ष मौतें

2005-98254

2010-133938

2011-136834

2012-139391

2013-137423

2014-141526

2015-148707