नहीं है सिविक सेंस
सामाजिक संस्था कोशिश के अध्यक्ष और सोशल एक्विटिविस्ट नरेश कुमार के अनुसार, सिटी के एक बड़े तबके में सिविक सेंस की कमी है। यही वजह है कि आगरा के सार्वजनिक स्थानों और दफ्तरों की दीवारों पर पान और गुटखे की पीक की गंदगी साफ दिखाई देती है. 
मां की फोटो लगाकर बचाईं दीवारें
जब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रही तो लोगों देवी मां की सहारा लिया। संजय प्लेस, हींग की मंडी, सिकंदरा-बोदला,फुव्वारा आदि सहित सिटी की डिफरेंट एरियाज की मार्केट्स के कोनों और सीढिय़ों पर देवी मां की तस्वीरों वाली टाइल्स लगा दीं। जिससे लोग पीक थूकने से बचने लगे।
काफी चेंज आ गया
संजय प्लेस मार्केट एसोसिएशन के मेम्बर विनय मित्तल कहते हैं टाइल्स लगने के बाद काफी चेंज आया है। वहीं, संजय प्लेस ब्लॉक 25 के कारोबारी सरदार गुरबचन सिंह का कहना है कि मां की टाइल्स लगने से पहले सीढिय़ों पर बहुत गंदगी रहती थी। देवी-देवताओं की टाइल्स लगी जगहों पर लोग पीक करने से बच रहे है।
अभी जरूरत है अवेयरनेस की
सोशल एक्टिविस्ट ओपी सरीन कहते है अभी लोगों को अवेयर करने की जरूरत है। बकौल सरीन कई लोग तो देवी-देवताओं की तस्वीरों की भी परवाह नहीं करते है। ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाना जरूरी है।
सीटी बजाकर करो विरोध
पर्यावरणविद् बृज खंडेलवाल के यंगस्टर्स को अवेयर करने के लिए कैम्पेन चला रहे है। यंगस्टर्स को अपने साथ प्लास्टिक की सीटी जेब में रखकर चलने की अपील की है। पब्लिक प्लेसेज को गंदा करने से बचाने के लिए पीछे खड़े होकर एक बार बच्चों वाली प्लास्टिक की सीटी बजा दो. 

राजेश कुलश्रेष्ठ, एडवोकेट

सिविक सेंस न रखने वाले लोगों को सुधारने के लिए कानून का सहारा लेना चाहिए।