JAMSHEDPUR: लौहनगरी में हेपेटाइटिस तेजी से पांव पसार रहा है। पूर्वी सिंहभूम जिले में हर साल 8 से 10 फीसद मरीजों की संख्या बढ़ रही है। फिलहाल तीन मरीजों का इलाज महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है। वहीं ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बरसात के दिनों में हेपेटाइटिस ए और ई के मामले तेजी से बढ़ते हैं। हेपेटाइटिस 'ए' वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित भोजन-पानी के सेवन से होता है। यह लीवर को प्रभावित करता है। वहीं हेपेटाइटिस 'ई' बीमारी वैसे तो साल भर होती रहती है, लेकिन बरसात के मौसम में और बरसात खत्म होते ही इसका प्रकोप बहुत बढ़ता जाता है। इससे बचने का एकमात्र उपाय स्वच्छ पानी पीना है। गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस का होना खतरनाक माना जाता है। हेपेटाइटिस बी और सी अधिक खतरनाक है। हेपेटाइटिस-सी सबसे अधिक खतरनाक है, अब तक इसका कारगार इलाज सामने नहीं आया है। हेपेटाइटिस एक वायरस जनित रोग है, जो आपके लीवर को नुकसान पहुंचाता है। अंतिम स्थिति में हेपेटाइटिस लीवर सिरोसिज और लीवर कैंसर का कारण भी बनता है। हेपेटाइटिस को एड्स से भी ज्यादा घातक रोग माना जाता है।

हेपेटाइटिस के प्रकार

एमजीएम अस्पताल के फिजिशियन डॉ। निर्मल कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस मूलरूप से पांच प्रकार का होता है। इसमें ए, बी, सी, डी और ई शामिल हैं। हेपेटाइटिस डी डेल्टा वायरस है, जो बी के साथ ही मिलता है।

- हेपेटाइटिस बी और सी : हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण कई कारणों से रक्त के जरिए होता है। जैसे सुई में लगी चोट, इंजेक्शन द्वारा ड्रग लेना और हेपेटाइटिस से संक्रमित किसी व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आना। टैटू गोदवाना, किसी संक्रमित व्यक्ति का टूथब्रश और रेजर इस्तेमाल करना और असुरक्षित यौन संपर्क जोखिम बढ़ा सकता है।

- प्रदूषित पानी से होता हेपेटाइटिस ए और ई : हेपेटाइटिस ए और ई का संक्रमण प्रदूषित खाद्य पदार्थो और दूषित पानी पीने से होता है। साफ-सफाई से न रहने और खाने से पहले हाथ साबुन से न धोने से यह रोग फैलता है। बरसात में ये दोनों बीमारियां अधिक होती है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

-त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना।

- मूत्र का रंग गहरा हो जाना।

- अत्यधिक थकान।

- मतली, उल्टी।

- पेट दर्द और सूजन।

- खुजलाहट, भूख कम लगना।

- वजन का घटना।

हेपेटाइटिस वायरल इंफेक्शन के कारण होता है, जो वायरस के अनुसार पांच प्रकारों में विभाजित किया गया है। बरसात के मौसम में हेपेटाइटिस ए औ ई के मामले बढ़ जाते हैं। लक्षण के आधार पर जांच की जाती है और उसके बाद दवा शुरू की जाती है।

- डॉ निर्मल कुमार, फिजिशियन, एमजीएम