केवल पांच रुपए की है ये दवा  
डायबटीज पेंशेंट को आयुर्वेदिक तरीके से राहत दिलाने के लिए मात्र पांच रुपए मूल्य की एक हर्बल दवा विकसित की गयी है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) और केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस हर्बल औषधि की प्रौद्योगिकी एमिल फार्मा प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी गई है। एनबीआरआइ के डॉ. एकेएस रावत ने बताया कि कंपनी इसे अगले दो सप्ताह में बाजार में उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। उन्होंने बताया कि यह शोध एनबीआरआइ के निदेशक डॉ. सीएस नौटियाल के निर्देशन में शुरू किया गया था। डॉ. नौटियाल के पास उस समय सीमैप का भी चार्ज था। यही वजह है कि दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से शोध आरंभ किया था जिसका परिणाम सामने है। 

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चार वनस्पातियों से बनी है दवा
बीजीआर-34 नाम की यह औषधि पूरी तरह से दुष्प्रभाव मुक्त है। सामान्य तौर पर दवाओं में मौजूद एंटीजेन नुकसान पहुंचाते हैं जबकि इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट सेहत के लिए काफी मुफीद हैं। औषधि में उन चार वनस्पतियों का शत-प्रतिशत प्रयोग किया गया है, जिसका वर्णन आयुर्वेद में है। क्लीनिकल परीक्षण में औषधि पूर्ण रूप से सुरक्षित व 67 फीसद सफल पाई गई है। सीमैप के डॉ. दिनेश ने बताया कि इस औषधि की विशेषता यह है कि यह सौ फीसद प्राकृतिक उत्पादों से बनाई गई है। बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पाद पूरी तरह से हर्बल नहीं होते। ऐसे मरीज जिनमें शुगर लेवल ज्यादा हो, दवा के साथ-साथ लिया जा सकता है। जैसे-जैसे शुगर का स्तर कम होता जाए दवा की डोज कम की जा सकती है। संभव है कि डायबिटीज मरीजों को दवा से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा।

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