- इनटैक की टीम कर चुकी है दौरा

- राघवेंद्र स्वामी मंदिर को पर्यटन केंद्र बनाने का मिला था आश्वासन

GOLA BAZAR: गोला तहसील मुख्यालय से सटे विसरा गांव स्थित राघवेंद्र स्वामी मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना फाइलों में गुम हो गई है। भारतीय पुरातत्व परिषद और ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण करने वाली राष्ट्रीय संस्था इनटैक के अधिकारियों ने लगभग चार वर्ष पूर्व यहां का दौरा किया था। उन्होंने मंदिर की ऐतिहासिकता को समझते हुए इसे पुरातत्व संरक्षण योजना में शामिल कर इसका जीर्णोद्धार करने और हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया था। तभी से यहां के लोग आश्वासनों के मूर्त रूप लेने का इंतजार कर रहे हैं।

बस मिला आश्वासन

सैकड़ों वर्षो से बदहाली की मार झेल रहे मंदिर के समक्ष घाघरा के कटान का भी संकट खड़ा है। सितंबर 2010 में जनपद के तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जीएस नवीन कुमार की पहल पर इनटैक के इंजीनियरों तथा क्षेत्रीय पुरातात्विक अधिकारी अंबिका प्रसाद सिंह ने मंदिर का निरीक्षण कर रिपोर्ट तत्कालीन जिलाधिकारी और कमिश्नर को सौंपी थी। इसके मुताबिक मंदिर को पुरातत्व संरक्षण योजना के अंतर्गत जीर्णोद्धार व तत्काल एक बांध बनाने और बालू खनन के लिए बने रास्तों को बदलने का सुझाव दिया गया था। साथ ही रामजानकी मार्ग के महत्वपूर्ण स्थलों के साथ इस स्थान को हेरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी योजना थी। इनटैक के इंजीनियरों ने तो इस मंदिर की प्राचीनता को देखते हुए इसे विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए पहल करने की बात तक की थी लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ।

250 साल पुराना मंदिर

विसरा गांव में स्थित राघवेंद्र स्वामी सरकार मंदिर स्थापत्य कला का उत्कृष्ठ नमूना है। सरयू तट पर लगभग 10 एकड़ क्षेत्रफल में लाल बलुआ पत्थर से नागर शैली में बना मंदिर अपने गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है। इसे लगभग 250 वर्ष पूर्व 18वीं शताब्दी में गोपालपुर स्टेट की महारानी हरिपाल कुअरी ने बनवाया था। उनकी कल्पना को मूर्त रूप गांव के ही शिल्पकार करिया विश्वकर्मा और ठेकेदार मोहन दुबे के 25 वषरें के अथक परिश्रम ने दिया था। आजादी के साथ ही गोपालपुर स्टेट इतिहास के पन्नों में सिमट गया और मंदिर की बदहाली शुरू हो गई।