- पर्यटकों को भा रही है शहर की गलियां

- चौक और कैसरबाग हैरिटेज वॉक हिट

- बटलर पैलेस में शुरू होगी तीसरी वॉक

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LUCKNOW: नवाबों का शहर लखनऊ पर्यटकों को भाने लगा है। कई गुमनाम कहानियां समेटे शहर की गलियां अब पर्यटकों से रूबरू होने लगी हैं। नवाबी शानो-शौकत की गवाह चौक और कैसरबाग की इमारतें अब नये अंदाज में अपनी भव्यता बिखेर रही हैं। शहर में हैरिटेज वॉक शुरू हुई तो कई रहस्य भी बेपर्दा होने लगे। कैसरबाग में तहखानों का जाल मिला तो चौक में सदियों पुराना यूनानी दवाखाना अचानक खास बन गया। कदम रसूल के किस्से आम हुए तो आजादी की लड़ाई में कुर्बान होने वालों की याद भी आई। अब ये सब पर्यटन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। हैरिटेज वॉक, लखनऊ ऑन साइकिलिंग, लखनऊ इन द इविनिंग के जरिए लोग अवधी विरासत के साथ गंगा-जमुनी तहजीब को भी जान रहे हैं। साथ ही शहर की मशहूर चीजों का लुत्फ भी उठा रहे है।

गलियों से शहर को जान रहे है पर्यटक

हैरिटेज वॉक के जरिये बाहर से आने वाले पर्यटक पुराने लखनऊ के कल्चर, यहां के रहन सहन और यहां सिमटे इतिहास को जानने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इमामबाड़े से ज्यादा लोगों को शहर के बारे में जानने की दिलचस्पी है जिसकी वजह से वो पुराने लखनऊ जो चौक का एरिया कहलाता है वहां पर जाकर उसके बारे जान रहे हैं। पुराने लखनऊ की टाउन प्लानिंग एशिया की सबसे बेहतरीन व सबसे पुरानी टाउन प्लानिंग के रूप में जानी जाती है। इसके अलावा यहां पर होने वाला मशहूर जरदोजी का काम, स्टोन कटिंग यूनानी हॉस्पिटल पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। शहर के वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड नवेद जिया बताते हैं कि यूनानी दवाओं को लाने का श्रेय नवाब नसीरुद्दौला को जाता है जो यूनानी चिकित्सा पद्धति को 1837 में लाये थे। उन्होंने बताया कि हैरिटेज वॉक के जरिये लोगों में इन सबको जानने की उत्सुकता ज्यादा बढ़ गई है।

2010 में शुरू हुई थी हैरिटेज वॉक

टूरिस्ट गाइड नवेद जिया ने बताया कि दो मई 2010 में पहली हैरिटेज वॉक शुरू हुई थी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले इस हैरिटेज वॉक को गुजरात अहमदाबाद के रहने वाले देवाशीष नाइक ने डिजाइन किया था जो गुजरात में बीस सालों से चल रहा है। इस हैरिटेज वॉक का मकसद लोगों को वो दिखाना है जो उनकी नजरों से छुपा है। उन्होंने बताया कि लोग इस समय हैरिटेज वॉक के जरिये शहर के कल्चर को जानने में ज्यादा उत्सुक नजर आते है। दो मई 2010 में शुरू हुई पहली हैरिटेज वॉक मे पुराने लखनऊ का दिखाना था जिसमें लोग इमामबाड़े से ज्यादा शहर की गलियों में बसा कल्चर देखने को दिलचस्पी दिखा रहे है। जिसमें गोल्ड सिल्वर का काम, नक्काशी का काम, मीठी सुपारी का काम, पुराना यूनानी मेडिकल हॉस्पिटल, जरदोजी का काम आदि शामिल हैं। इसके बाद 2013 में सबसे दूसरी हैरिटेज वॉक कैसरबाग से शुरु की गई जो काफी सफल रही।

सुबह से शाम तक निहारें लखनऊ की खूबसूरती

हैरिटेज वॉक, लखनऊ इन द इविनिंग, लखनऊ ऑन साइकिलिंग के जरिये आप पूरे लखनऊ की खूबसूरती को देख सकते हैं। जहां पर हैरिटेज वॉक में आप शहर की उन चीजों से परिचित होगे जो छुपी हुई है तो वहीं लखनऊ ऑन द साइकिलिंग से आप साइकिल की सवारी करके नवाबी अंदाज को करीब से जान सकते है। लखनऊ इन द इविनिंग में शहर की शाम के तमाम नजारे आप देख सकेंगे। जिसमें लाइटिंग के जरिये भव्यता बिखेरने वाली ऐतिहासिक इमारतें शामिल है। शाम के समय रोशनी में नहाया हुआ शहर 'अवध की शाम' क्यों कहा जाता है, अगर ये जानना है तो लखनऊ इन द इविनिंग जरूर जाये।

तीसरी हैरिटेज वॉक जल्द

दो हैरिटेज वॉक की सफलता के बाद जल्द ही तीसरी हैरिटेज की शुरुआत हो सकती है। सूत्रों के अनुसार इस हैरिटेज वॉक की शुरुआत छत्तर मंजिल से लेकर बटलर पैलेस तक होगी। जिसमें छत्तर मंजिल, जरमैन कोठी, लाल बारादरी, दर्शन विलास, गुलस्तां ए इरम, कदम रसूल, अम्बेडकर पार्क, लोहिया व जानेश्वर मिश्र पार्क, यूनिवर्सिटी, सिकंदर बाग से होते हुए बटलर पैलेस पर आकर खत्म होगी। जिसमें कदम रसूल जो 177 साल से बंद पड़ा है, उसे खोला जायेगा। कदम रसूल में 1857 क्रांित के समय बमबारी में सैकड़ों लोग मारे गये थे जिनके नाम भी तलाश कर कदम रसूल में लिखे जाएंगे। इसके अलावा बटलर पैलेस की खूबसूरती इस हैरिटेज वॉक में आकर्षण का केंद्र रहेंगी। जिस तरह ताज महल की परछाई यमुना नदी में दिखाई देती है उसी तरह बटलर पैलेस की परछाई वहां पर बनी झील में नजर आती है। शाम के समय का ये दृश्य काफी मनमोहक होता है। जल्द ही हैरिटेज वॉक के जरिये इसको देखा जा सकेगा।

अभी कुछ दिक्कते भी

पुराने लखनऊ की गलियों में फैली गंदगी, हैरिटेज इमारतों के पास खुले पड़े केबिल पर्यटकों के लिए काफी दिक्कत पैदा करते हैं। पुराने लखनऊ की गलियों में अंदर कूड़े का ढेर व सड़कों पर घूमते जानवर पर्यटकों को असहज महसूस करवाते हैं। साथ ही प्राइवेट टूर वाले इस योजना की नकल कर रहे है जिसके चलते इस योजना को जो फायदा सरकार को या विभाग को होना चाहिए वो भी नहीं हो पा रहा है। जब से ये योजना शुरू हुई है तबसे लगातार ये चल रही है और काफी सफल रही है।