दंड स्वरूप-तबादला आदेश रद, निदेशक स्थानीय निकाय पर 50 हजार हर्जाना

हाई कोर्ट ने कहा, नेताओं के इशारे पर ब्यूरोक्रेसी का समर्पण उचित नहीं

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजनैतिक दबाव में कर्मठ व इमानदारी से काम करने वाली अधिकारी को 10 साल में 11 बार पिछले ढाई साल में 6 बार तबादला करने को शक्तियों का दुरुपयोग व दुर्भावनापूर्ण माना है। कोर्ट ने नगर पालिका परिषद गढ़मुक्तेश्वर हापुड़ की अधिशासी अधिकारी कुमारी अमिता वरुप का नगर पालिका परिषद मरहरा, एटा तबादला करने के आदेश को दर कर दिया है। कोर्ट ने याची को राजनैतिक दबाव में बार बार तबादला कर पेरशान करने के लिए निदेशक स्थानीय निकाय पर 50 हजार रुपये हर्जाना लगाया है और हर्जाना राशि का भुगतान दो माह में याची को किये जाने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा नीरज त्रिपाठी की खण्डपीठ ने तबादले की चुनौती में दाखिल अमिता वरुप की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी ने बहस की।

स्वतंत्र निर्णय लें अधिकारी

मालूम हो कि विशेष सचिव ने निदेशक को मंत्री की इच्छा का पालन करते हुए याची का तबादला करने का आदेश दिया। जिस पर यह तबादला कर दिय गया। कोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी की और कहाकि निदेशक नियुक्ति अधिकारी होने के नाते स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं किन्तु राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम करने की ब्यूरोक्रेसी की प्रवृत्ति के कारण एक कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार अधिकारी को परेशान किया जा रहा है। उसे राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम करने को विवश करने का प्रयास किया गया। याची के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं है और न ही उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। एक बोल्ड लेडी अधिकारी को इसलिए बार बार स्थानान्तरित किया जा रहा है कि वह राजनैतिक लोगों के इच्छा के विपरीत कानून के तहत कार्य कर रही है। कोर्ट ने कहाकि बार-बार तबादला ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी को हतोत्साहित करने वाला कदम है। अधिकारियों ने नेताओं की इच्छा के आगे समर्पण कर दिया है। कानूनन उन्हें स्वतंत्र निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।