-बालिका गृह कांड में सीबीआइ और सरकार को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

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क्कन्ञ्जहृन्: मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में राज्य सरकार द्वारा सुनवाई के लिए समय मांगे जाने और सीबीआइ के एसपी को अनुसंधान के बीच में ही हटाने पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा, मामले की गंभीरता से सभी अवगत हैं। फिर भी राज्य सरकार की ओर यह कह कर समय मांगा जा रहा कि एडवोकेट जनरल नहीं हैं। इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी। मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायाधीश डा.रविरंजन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने जब मामले की सुनवाई शुरू की तो सीबीआइ की तरफ से बताया बताया गया कि एसपी का स्थानांतरण हो गया है। अब मामले के इंचार्ज लखनऊ के एसपी हैं। एसपी के बीच में तबादले को लेकर कोर्ट ने कई सवाल खड़े किए। अदालत ने जानना चाहा है कि किन कारणों से अनुसंधान कार्य के बीच में ही एसपी का तबादला कर दिया गया? क्या इसके पीछे कोई प्रशासनिक कारण है? सीबीआइ द्वारा प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किए जाने पर अदालत ने इसे गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने कहा, यह एक गंभीर मामला है सुनवाई की हर तिथि को जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।

बातें कैसे पहुंच रही मीडिया तक

खंडपीठ ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह एवं अन्य जगहों के शेल्टर होम में हुए यौन शोषण की घटना में लगातार हो रहे अनुसंधान की जानकारी मीडिया तक पहुंचने पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा ऐसा होने से अभियुक्तों को बचने का समय मिल जाता है। यह सब मीडिया तक कौन पहुंचा रहा है। इसलिए आज के बाद से अनुसंधान कार्य से जुड़ी खबर पर रोक लगाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट अदालत में सीलबंद होनी चाहिए।

ज्ञात हो कि मुजफ्फरपुर एवं अन्य शेल्टर होम में हुए यौन उत्पीड़न से जुड़े कई मामले की एक साथ सुनवाई हो रही है। अधिवक्ता शमा सिन्हा एवं अलका वर्मा ने सम्मिलित रूप से कहा कि कुछ शेल्टर होम से बच्चे गायब हैं, उसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कुछ बच्चों के मां-बाप लेने आते थे लेकिन उन्हें नहीं सौंपा गया। अगली तिथि 27 अगस्त को सारी बातों की जानकारी मुहैया कराने को कहा।