PATNA : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की मंजूरी मिलने के बावजूद एमयू द्वारा मान्यता देने में देरी पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताया है।

न्यायालय ने विश्वविद्यालय के जवाब से असंतुष्ट होकर पांच लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया है। कोर्ट ने कॉलेजों पर अवैध तरीके बिना जांच कराए जांच फीस थोपे जाने पर भी नाराजगी जताते हुए एमयू प्रशासन को पांच लाख रुपये की हर्जाना राशि याचिकाकर्ता के कॉलेजों को देने का आदेश दिया है।

रिट याचिका पर हुई सुनवाई

न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने आरपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मौलाना अबुल कलाम आजाद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से संयुक्त रूप से दायर रिट याचिका को मंज़ूर करते हुए उक्त आदेश दिया साथ ही हाई कोर्ट ने कुलाधिपति कार्यालय को आदेश दिया है वे इस मामले में जांच कर मगध यूनिवर्सिटी के उन अफसरों /कर्मियों को चिन्हित कर उनपर कार्रवाई करें जिन्होंने कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अनदेखी की है।

कोर्ट से लगाई थी गुहार

याचिकाकर्ता कॉलेजों ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी कि सत्र 2017-18 के लिए एआइसीटीई से इन कॉलेजों के इंजीनियरिंग कोर्स की मान्यता मिलने के बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन एफिलिएशन देने में आनाकानी कर रही है। दोनों कॉलेजों से एमयू ने निरीक्षण फीस के रूप में 5-5 लाख रुपए जमा करने को कहा था।