हाई कोर्ट इलाहाबाद चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के वेतनमान के मामले की सुनवाई कल

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव वित्त एवं प्रमुख सचिव न्याय को 5 अप्रैल तक हलफनामा दाखिलकर बताने का निर्देश दिया है कि क्या वे 15 जुलाई 17 व 17 अगस्त 17 को तय बिन्दुओं पर पुनर्विचार करने को तैयार हैं या नहीं? सरकार का कहना है कि यदि कोर्ट आदेश से हाई कोर्ट के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 3250 रुपये वेतनमान दिया जाता है तो यह प्रदेश सचिवालय के तृतीय श्रेणी कर्मियों के बराबर होगा। सचिवालय व हाई कोर्ट के वेतनमान में समानता के सिद्धांत के विपरीत होगा।

अभी नहीं हुआ है अंतिम फैसला

दूसरी तरफ सरकार ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, सरकार विचार कर रही है। इस पर कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। याचिका की सुनवाई 5 अप्रैल को होगी। यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने चतुर्थश्रेणी कर्मचारी एसोसिएशन हाई कोर्ट व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है। इससे पूर्व 23 मार्च को दोनों अधिकारी कोर्ट में हाजिर थे। कोर्ट ने पत्रावली के साथ दुबारा तलब किया था।

कोर्ट को बताया गया

15 जुलाई 17 को मुद्दे पर चर्चा हुई थी किन्तु अंतिम निर्णय नहीं हो सका

हाई कोर्ट ने नियमावली तैयार कर राज्य सरकार को भेजी थी किन्तु सरकार ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया

चार जजों की कमेटी के प्रस्ताव पर अमल नहीं हुआ तो याचिका दाखिल हुई

कोर्ट ने फरवरी 16 में राज्य सरकार को 3250 रुपये वेतन देने का आदेश दिया अपील भी खारिज हो गयी। इसके खिलाफ एसएलपी भी नहीं हुई तो आदेश अंतिम हो गया

जजों की कमेटी ने हाई कोर्ट कर्मियों के कार्यअवधि व कार्य प्रकृति को देखते हुए वेतनमान की संस्तुति की

अब राज्य सरकार न आदेश मान रही है और न ही मानने से इंकार कर रही है