सौन्दर्यीकरण के नाम पर शहर में पेड़ों की कटाई की निगरानी करेगी 5 सदस्यीय कमेटी

कोर्ट ने कहा, पेड़ों को जड़ से खोद दूसरी जगह लगाने पर हो अमल, डीएम से परमिशन अनिवार्य

शहर का सुन्दरीकरण भी जरूरी है और सड़कों का चौड़ीकरण भी। लेकिन, इसके लिए पेड़ों की बलि तभी ली जाय जब ऐसा करना अनिवार्य हो। बेहतर होगा कि पेड़ को जड़ समेत दूसरे स्थान पर शिफ्ट करें। ऐसा संभव न हो तो डीएम से परमिशन लें और एक के बदले दो पेड़ लगाएं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पांच साल तक इसकी सुरक्षा अनिवार्य रूप से करें।

डीएम का सहयोग करेगी कमेटी

कोर्ट ने जिलाधिकारी के सहयोग के लिए अधिकारियों की एक कमेटी गठित की है

कमेटी में एडीएम प्रशासन, एडीए के सचिव उप नगर आयुक्त प्रभागीय वन अधिकारी एवं कुमारी अराधिका चोपड़ा सिविल सोसायटी की प्रतिनिधि को शामिल किया गया है

कमेटी डीएम को रिपोर्ट देगी। कोर्ट ने अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को न्यायमित्र नियुक्त किया है और राज्य सरकार व निकायों से जवाब मांगा है

सड़क सुन्दरीकरण में पेड़ों की कटाई की खबरों को लेकर कायम जनहित याचिका पर जस्टिस पीकेएस बघेल तथा जस्टिस राजीव जोशी की खण्डपीठ ने यह आदेश दिया है।

गिरते भूजल स्तर पर चिंता

कोर्ट ने कहा है कि पेड़ों की कटाई के चलते भूगर्भ जल स्तर में गिरावट देखी जा रही है। यह स्थिति ठीक नहीं है। कहा कि, ऐसी मशीनें आ गयी हैं जिनसे पुराने पेड़ों को जड़ से मिट्टी सहित उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगाया जा सकता है। कोर्ट ने इस तकनीकी के इस्तेमाल पर बल दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के टीएन गोडावर्मन थिरुमुल्पद केस में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को कटे पेड़ों से दूने पेड़ लगाने एवं उनकी सुरक्षा का फण्ड तैयार करने के आदेश पर भी अमल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगाये गये पेड़ों की पांच साल तक सुरक्षा की जाय। पेड़ों की कटाई के खिलाफ एक अन्य याचिका की 4 जुलाई को सुनवाई होगी।