हाईकोर्ट ने कहा, मृतक आश्रित कोटे में परिवार की आर्थिक स्थिति पर सरकार को देरी से छूट का अधिकार

मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के लिए पांच साल बाद दिये गये आवेदन को देरी के आधार पर आंख बंद कर खारिज नहीं किया जा सकता। देरी से दिये गये आवेदन को खारिज करने से पूर्व विभाग विचार कर सकारण निष्कर्ष दे। यह भी देखा जाय कि आश्रित की वर्तमान आर्थिक दशा कैसी है तथा परिवार की कुल आय अन्य मृतक कर्मी के वेतन से अधिक है या नहीं। यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस रामसूरत राम मौर्य ने मृतक आश्रित अंतरिक्ष समेत आधा दर्जन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता विजय गौतम ने बहस की।

बालिग होने में देरी से हुई देर

याचिकाओं में उन आदेशों को चुनौती दी गयी थी जिनमें पांच वर्ष बीत जाने के बाद मृतक आश्रित की नियुक्ति की मांग की गयी थी

विभाग ने आवेदन देने में देरी को कारण बताते हुए खारिज कर दिया था

कर्मचारी की मृत्यु के समय आश्रित की उम्र कम होने के कारण बालिग होने पर देरी से नियुक्ति की मांग में आवेदन दिया गया था

कोर्ट ने कहा

देरी से दिये गये आवेदन पर विचार करते समय परिवार की आर्थिक दशा पर भी विचार किया जाय

बिना कारण आवेदन मनमाने तौर पर निरस्त करना गलत है

देरी से छूट देने का सरकार को अधिकार है

सरकार मनमाने निर्णय नहीं ले सकती

आवेदन पर विचार करते समय परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए निर्णय लेना चाहिए