संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट ने किया बरी, रिहायी का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद के धूमनगंज थाना क्षेत्र में 2 नवंबर 2005 को राम विशाल पाल की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी राजा भइया उर्फ कन्हैया लाल पंडा को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने सत्र न्यायालय इलाहाबाद द्वारा हत्या के आरोप में सुनाई गयी आजीवन कारावास की सजा रद कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिन्हें घटना का चश्मदीद गवाह बताया है उनकी घटना स्थल पर मौजूदगी संदेहास्पद है। अभियोजन पक्ष संदेह से परे हत्या के आरोप को सिद्ध करने में नाकाम रहा है। साथ ही गवाहों के बयान व मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभाष होने के नाते वे अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं करते। कोर्ट ने अन्य केस में वांछित न होने पर अपीलार्थी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।

डबल बेंच का आदेश

यह आदेश जस्टिस बीके नारायण तथा राजीव गुप्ता की खण्डपीठ ने राजा भइया उर्फ कन्हैया लाल पंडा की सजा के खिलाफ आपारधिक अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा के साथ 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया था। जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी। अपीलार्थी के अधिवक्ता अजातशत्रु पांडेय व प्रदीप कुमार राय का कहना था कि मृतक को आरोपी के पिता धु्रव पंडा से दुश्मनी थी। 2 नवंबर 05 को दो लोग आये और मृतक को प्लाट दिखाने के लिए ले गये। मोटर साइकिल पर आये दो लोगों ने राइफल से फायर किया। जिसमें राम विशाल पाल की मौत हो गयी। चश्मदीद गवाहों के बावजूद मोटर साइकिल ड्राइवर का नाम प्राथमिकी में नहीं दिया गया और बयान 24 दिन बार दर्ज किया गया। सहअभियुक्त हनुमान प्रसाद फतेहपुर घाट कौशाम्बी घटनास्थल से मात्र 18 किमी। दूरी का निवासी है। शिकायतकर्ता भी इसी गांव का है। नाम न देने का मतलब वे मौके पर मौजूद नहीं थे। जो प्लाट दिखाने ले गये थे उनका बयान नहीं लिया। जिससे संदेह पैदा होता है।