हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने कहा, सुप्रीमकोर्ट का फैसला बाध्यकारी

इलाहाबाद हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय वृहदपीठ ने राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों के प्रवक्ता पदों पर सीधी भर्ती में आरक्षण मुद्दे पर सुनवाई से इंकार करते हुए प्रकरण खण्डपीठ को वापस कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विश्वजीत केस के फैसले को सुप्रीमकोर्ट ने सही माना है। ऐसे में हाईकोर्ट को इसी मुद्दे पर सुनवाई का अधिकार नहीं है।

नहीं मानी जाएगी बैकलॉग रिक्ति

यह फैसला चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस एमके गुप्ता, जस्टिस सुनीत कुमार, जस्टिस यशवन्त वर्मा तथा जस्टिस एसडी सिंह की वृहदपीठ ने डॉ। अर्चना मिश्रा व अन्य की याचिकाओं पर दिया है। याचिकाएं खण्डपीठ को वापस भेज दी गयी हैं। कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत किया गया कि विश्वजीत केस में कोर्ट ने कालेज को इकाई मानते हुए विषयवार आरक्षण दिये जाने को सही करार दिया। कहाकि यदि पद पहले विज्ञापित नहीं किया गया है तो ऐसी रिक्तियों को बैक लॉग रिक्ति नहीं माना जायेगा। इन्हें क्लब कर आरक्षित कोर्ट में नहीं भरा जा सकेगा। ऐसी रिक्तियों पर सामान्य व आरक्षित वर्ग को समान अवसर मिलेगा। इसी प्रकरण को पांच जजों की पीठ के समक्ष वाद बिन्दु तय करते हुए निर्णीत करने का संदर्भ भेजा गया था। सुप्रीमकोर्ट द्वारा विश्वजीत केस के फैसले की पुष्टि के बाद कोर्ट ने सुनवाई करने से इन्कार कर दिया और कहा कि अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीमकोर्ट का फैसला हाई कोर्ट पर भी बाध्यकारी है।