-बच्चों को अनिवार्य शिक्षा राज्य का दायित्व

-प्राइवेट कॉलेज कर रहे सरकार का ही काम

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने एक इंपार्टेट डिसीजन मं कहा है कि स्टेट गवर्नमेंट की एजुकेशन पॉलिसी में चेंज की जरूरत है। छह से क्ब् वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा देने का दायित्व राज्य सरकार का है। प्राइवेट शिक्षण संस्थान बच्चों को शिक्षा देकर राज्य सरकार का ही काम कर रहे हैं। ऐसे संस्थानों को वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ। डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने परिपूर्णानन्द त्रिपाठी व अन्य सहायक अध्यापकों की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि समाज के कमजोर तबके के बच्चे ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा दी जानी चाहिए किंतु संसाधनों के अभाव में योग्य शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। प्राइवेट कॉलेजों के शिक्षकों का हाल भी दयनीय है। ऐसी स्थिति में प्राइवेट स्कूलों के छात्र अच्छी शिक्षा नहीं पा रहे हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अनिवार्य शिक्षा कानून-ख्009 आने के बाद राज्य सरकार की क्989 की शिक्षा नीति में बदलाव किया जाए। ताकि बच्चों को शिक्षा प्रदान करने वाले प्राइवेट कॉलेजों के प्राइमरी सेक्शन को वित्तीय सहायता दी जा सके। कोर्ट ने किसान आदर्श इंटर कॉलेज ठाकुर नगर, गोरखपुर के प्राइमरी सेक्शन को वित्तीय सहायता देने से इंकार करने के राज्य सरकार के क्0 जनवरी ख्00ख् के आदेश तथा याचिका खारिज करने के एकलपीठ के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नए कानून एवं न्यायिक निर्णयों के आलोक में नई शिक्षा नीति पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है।