-अदालत ने खारिज की प्रतियोगी छात्रों की याचिका

-खारिज होने के बाद तर्क प्रस्तुत करने पर ठोंका दस हजार रुपए का जुर्माना

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस-प्री के पहले पेपर की पुनर्परीक्षा रद कराने हाईकोर्ट पहुंचे प्रतियोगी छात्रों को मायूसी हाथ लगी है। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है और याचियों पर दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। प्रतियोगी छात्रों ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से पल्लवी राय और अन्य की ओर से दाखिल याचिका की मंगलवार को सुनवाई थी। न्यायमूर्ति वीके शुक्ल और न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी की खंडपीठ ने इसे बलहीन पाया। याचिका में मांग की गई थी कि आयोग ने अपने ही नियमों का उल्लंघन करके परीक्षा संपन्न कराई। दूसरी पाली में बड़ी संख्या में छात्र इसमें शामिल न हो सके। अदालत इस तर्क से संतुष्ट न हुई। इसके बाद भी याचियों के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने तर्क रखे तो अदालत ने दस हजार रुपये का अर्थदंड लगा दिया। दूसरी और भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा की ओर से दाखिल एक अन्य याचिका पर न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने सुनवाई के लिए दूसरी कोर्ट नामित करने के लिए मुख्य न्यायमूर्ति को लिखा है। इस पर 7 मई को सुनवाई होने के आसार हैं।

अदालत से मायूस अभ्यर्थियों ने कोर्ट के फैसले पर मंगलवार सायं बैठक की ओर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने बताया कि जल्द ही याचिका दखिल कर दी जाएगी। इसी कड़ी में भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिह ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश व्यापी आंदोलन के लिए बैठकों का क्रम शुरू कर दिया गया है।