-आयोग को तय करनी चाहिए जवाबदेही, आंतरिक जांच कराए

-फ्यूचर में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए व्यवस्था करे आयोग

-परीक्षाओं में भाई-भतीजावाद पर कड़ाई से निबटा जाए

परचा आउट कैसे हुआ? इसकी इंटरनल जांच होनी चाहिए थी? रिस्पांसिबिलिटी फिक्स की जानी चाहिए थी? डिस्कशन होना चाहिए था कि और कौन से कदम उठाए जाएं जिससे इस तरह का प्रकरण दोबारा सामने न आए। इससे आयोग की छवि भी बेहतर बनी रहती और छात्रों का भरोसा भी न टूटता। विवादों में घिरे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पर अब कोर्ट ने भी उंगलियां उठाई हैं। कोर्ट ने आयोग के खिलाफ कोई सीधा आदेश नहीं दिया लेकिन यह जरूर कहा कि आयोग को अपनी जवाबदेही खुद तय करनी चाहिए। पीसीएस-प्री का पेपर आउट होना आयोग की बड़ी चूक है।

यह यूथ के विश्वास का सवाल है

कोर्ट ने कहा कि यह युवाओं के विश्वास का सवाल है। पेपर आउट होने के मामले में पुलिस विवेचना भले ही कर रही है लेकिन आयोग अपने दायित्वों से नहीं बच सकता। आयोग अपनी चूक का पता लगाए और दोषी की जवाबदेही तय कर भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोके। अदालत की टिप्पणी उन छात्रों को जख्मों पर मरहम है जो आयोग की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पीसीएस-प्री पेपर लीक होने के बाद प्रतियोगियों ने कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की थीं लेकिन उनमें से किसी में उन्हें राहत नहीं मिली थी। चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमके गुप्ता की बेंच ने कहा कि चूंकि इस संबंध में दाखिल याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी हैं इसलिए वह कोई आदेश नहीं पारित कर रहे हैं। लेकिन, जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे अति महत्वपूर्ण हैं। इनका प्रभाव युवाओं के भविष्य पर पड़ने वाला है। पर्चा लीक मामले में लखनऊ के कालेज के प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है। कानून अपना काम करेगा। इतने मात्र से प्रकरण को बंद नहीं किया जा सकता।

आयोग खुद कराए इंटरनल ऑडिट

अधिवक्ता सुनीता शर्मा व पूर्व सभासद कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आयोग स्वयं आतंरिक आडिट कर ऐसी व्यवस्था करे कि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न होने पाए। संवैधानिक संस्था आयोग पर छात्रों का विश्वास है। वे कड़ी मेहनत से परीक्षा की तैयारी करते हैं। यह परीक्षा युवा छात्रों के भविष्य से जुड़ी है जिसमें चूक नहीं होनी चाहिए। अदालत ने आयोग से अपेक्षा की है कि वह आंतरिक जांच कराकर पर्चा लीक के दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करे।

संवैधानिक दायित्वों को पूरा करे आयोग

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आयोग अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करे। ऐसे सख्त कदम उठाएं जाएं जिससे लोगों में विश्वास हो। आयोग हर वो कदम उठाए जो नियमानुसार जरूरी हो। परीक्षा में दो लाख म्ख् हजार क्90 अभ्यर्थी बैठे। पेपर लीक के बाद ख्8ब्9 ने दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ दी। इस बिंदु को नकारा नहीं जा सकता। आयोग स्वयं अपनी समीक्षा करे।

यदि छात्रों का आयोग की परीक्षाओं से विश्वास उठा तो यह इस संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता की जड़ों को हिला देगा।

-डीवाई चंद्रचूड, चीफ जस्टिस