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PRAYAGRAJ: हैंड राइटिंग और अंगूठा निशान मिसमैच होने से सेलेक्शन के बाद भी भर्ती से बाहर कर दिये गये सीआरपीएफ के 36 जवानों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी राहत दे दी. कोर्ट ने केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग प्रयागराज द्वारा अभ्यर्थियों को बचाव का मौका दिए बगैर सेलेक्शन निरस्त करने व तीन साल तक आयोग की परीक्षा में बैठने से रोकने के आदेश को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ माना है. केंद्र सरकार की एकलपीठ के फैसले के खिलाफ विशेष अपील खारिज कर दी है. चयनित याचियों/सिपाहियों पर 3 साल तक आयोग की परीक्षा में बैठने पर लगा प्रतिबन्ध समाप्त कर दिया है.

एवीडेंस बन सकती है एक्सपर्ट की राय
कोर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ की राय साक्ष्य के रूप में स्वीकार की जा सकती है बशर्ते उसकी अन्य साक्ष्यों से पुष्टि हुई हो. रिपोर्ट के खिलाफ आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर साक्ष्य मानकर दण्डित करना विधि सम्मत नही माना जा सकता. यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने भारत संघ की विशेष अपील पर दिया है.

यह था पूरा मामला

आयोग द्वारा 22006 पैरा मिलिट्री पदों की भर्ती की गयी.

सीआरपीएफ के लिए चयनित रणविजय सिंह व 35 को ज्वाइनिंग के लिए भेजा गया

आयोग ने हस्ताक्षर व अंगूठा निशान न मिलने के कारण रोक दिया. सभी को नोटिस दी गयी.

सबके हस्ताक्षर व अंगूठा निशान केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजे गये.

डेढ़ साल बाद रिपोर्ट में आशंका की पुष्टि हुई तो सभी आरोपियों के आवेदन निरस्त कर दिए गए और 3 साल के लिए आयोग की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया.