वर्तमान में एकलौते सदस्य रामेंद्र बाबू की नियुक्ति को भी चुनौती

अध्यक्ष व तीन सदस्यों का नियुक्ति पहले ही हो चुकी है अवैध

<वर्तमान में एकलौते सदस्य रामेंद्र बाबू की नियुक्ति को भी चुनौती

अध्यक्ष व तीन सदस्यों का नियुक्ति पहले ही हो चुकी है अवैध

ALLAHABAD: ALLAHABAD: उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के एकमात्र सदस्य रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी की नियुक्ति भी विवादों में घिरती जा रही है। यदि उनकी नियुक्ति अवैध पाई गई तो आयोग में ताला लग जाएगा। आयोग के अध्यक्ष व तीन सदस्यों की नियुक्ति पहले ही अवैध ठहराई जा चुकी है। शासन ने अभी तक नए सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं की है।

चार सालों में एक भी नियुक्ति नहीं

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग पर प्रदेश के महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती का दायित्व है। यह विडंबना ही है कि बीचे चार सालों में यहां एक भी नियुक्ति नहीं हो सकी। क्म्भ्ख् पदों के लिए कई चरणों में लिखित परीक्षा जरूर हुई थी लेकिन बाद में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति ही विवादों में फंस गई और उनके हटने के बाद भर्ती भी अधर में लटक गई। सचिव की नियुक्ति को लेकर भी हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। इसलिए पिछले कई महीने से आयोग का भार एकमात्र सदस्य रामेंद्र बाबू पर ही था। नए सदस्यों के लिए शासन के फैसले का इंतजार किया जा रहा था।

फिर नजरअंदाज कर दिए गए मानक

इस बीच हाईकोर्ट में दाखिल एक नई जनहित याचिका में रामेंद्र बाबू की नियुक्ति को भी चुनौती दे दी गई है। इसमें कहा गया है कि सरकार ने रामेन्द्र बाबू की नियुक्ति में निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया है। नियुक्ति प्रक्रिया मनमाने तरीके से अपनाई गई है। दुर्गेश व अन्य द्वारा दाखिल इस याचिका पर चीफ जस्टिस डा। डीवाई चन्द्रचूड और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की और प्रदेश सरकार और रामेन्द्र बाबू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याची के वकीलों अनिल सिंह बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना है कि रामेन्द्र बाबू नियुक्ति के लिए किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। नियुक्ति राजनीतिक प्रभाव में बिना मानकों का पालन किए की गई है।