कोर्ट ने दिया सभी याचिकाओं को एकसाथ सूचीबद्ध करने का आदेश

मथुरा के जवाहर बाग कांड की सीबीआई या एसआईटी जांच कराये जाने की मांग में दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में 16 अगस्त को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने विजय पाल सिंह तोमर की जनहित याचिका को विचाराधीन अश्वनी उपाध्याय व अन्य की याचिकाओं के साथ सम्बद्ध करते हुए दिया है। इससे पहले न्यायमूर्ति विक्रम नाथ तथा न्यायमूर्ति आरएन कक्कड़ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए पूछा था कि रामवृक्ष यादव को दो दिन के लिए धरना देने की अनुमति की क्या प्रकृति थी। जिला प्रशासन ने अवैध कब्जे के खिलाफ क्या कार्यवाही की। 2014 से अब तक कौन-कौन जिलाधिकारी व एसएसपी तैनात थे। वन विभाग के अधिकारियों की शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गयी। अवैध कब्जे व प्रदर्शनकारियों द्वारा मारपीट की घटनाओं की कितनी प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इन प्राथमिकियों की विवेचना की क्या स्थिति है। साथ ही जिला प्रशासन की ओर से सरकार को भेजे गये पत्रों पर क्या कार्यवाही की गयी। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कोर्ट से मथुरा कांड को लेकर दाखिल हुई सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करने की प्रार्थना की। याची के अधिवक्ता ने भी सुनवाई की तिथि नियत करने की मांग की। इस पर कोर्ट ने सभी याचिकाओं को सुनवाई हेतु 16 अगस्त को पेश करने का आदेश दिया है।

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नोएडा, गे्रटर नोएडा की सीएजी से आडिट मामले की सुनवाई टली

नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के एकाउंट की सीएजी से आडिट कराने तथा वहां हुए घपलों की निष्पक्ष जांच की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई सोमवार को टाल दी गई। कामनकाज संस्था की इस जनहित याचिका की सुनवाई 23 अब अगस्त को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग खन्ना ने पक्ष रखा कि कानून के तहत सीएजी से आडिट का आदेश दिया जा सकता है। राज्य सरकार का कहना है कि स्थानीय अथॉरिटी से हर वर्ष आडिट हो रही है तो सीएजी से आडिट कराने का औचित्य नहीं है। याची का कहना है कि कई वर्षो से आडिट न होने तथा कई घोटाले उजागर होने के कारण सीएजी से आडिट कराया जाना चाहिए। विपक्षी अधिवक्ता के स्थगन अर्जी के कारण सुनवाई की तिथि टाली गई।