स्वामी स्वरूपानंद की अर्जी पर मुख्य न्यायाधीश ने दिया आदेश

स्वरूपानंद ने उम्र के आधार पर सुनवाई की लगाई गुहार

ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य पद को लेकर चार मई से होने वाली सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही होगी। मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक आदेश पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ फिर से इस केस की सुनवाई शुरू करेगी। शंकराचार्य स्वरूपानंद ने हाईकोर्ट ने अर्जी देकर कहा है कि वह 92 वर्ष से अधिक के हो गये हैं। चूंकि हाईकोर्ट ने इस केस की तात्विक सुनवाई कर रखी है तो ऐसी सूरत में में ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य पद को लेकर लंबित पुराने विवाद की सुनवाई के लिए लोअर कोर्ट को भेजना अन्याय होगा।

शंकराचार्य स्वरूपानंद की अर्जी पर विचार कर चीफ गेस्ट ने इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट में ही करने का आदेश दिया। मालूम हो कि शंकराचार्य स्वरूपानंद के पक्ष में इलाहाबाद के सिविल जज (जूनियर डिवीजन) ने फैसला दिया था तथा आदेश दिया था कि स्वामी वासुदेवानंद ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में न तो अपने को घोषित करेंगे और न ही छत्र-चंवर आदि का ही प्रयोग करेंगे। निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ स्वामी वासुदेवानंद ने हाईकोर्ट में प्रथम अपील दायर की और कोर्ट से अंतरिम आदेश की मांग की थी, परंतु हाईकोर्ट ने वासुदेवानंद की अंतरिम आदेश की मांग खारिज कर दी थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट भी वासुदेवानंद की मांग को खारिज कर चुका है।

जीवन काल में ही मिले न्याय

इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट में दिन प्रतिदिन के हिसाब से होनी थी, परंतु इसी बीच मूल्यांकन के हिसाब से शंकराचार्य विवाद केस की सुनवाई निचली अदालत में जिला जज के समक्ष भेजे जाने की कार्यवाही शुरू होनी थी। इस नाते शंकराचार्य ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर कहा था कि वह काफी वृद्ध है इस नाते इस विवाद को हाईकोर्ट में ही खत्म किया जाय, ताकि उन्हें उनके जीवनकाल में ही न्याय मिल सके।