प्रमुख सचिव न्याय की नियुक्ति का मामला

मुख्य सचिव से एक हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा

ALLAHABAD (26 April, JNN): प्रदेश में प्रमुख सचिव न्याय की नियुक्ति के मामले में सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। इस मामले की सुनवाई कर रही सात जजों की वृहद पीठ ने इस पद पर नियुक्ति में देरी पर नाराजगी जताई है तथा मुख्य सचिव की तरफ से दाखिल गलत हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए उनसे एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है।

कोर्ट ने कहा है हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा भेजे गए पत्र पर मुख्य सचिव द्वारा की गयी टिप्पणी हस्ताक्षर सहित अंकित है। ऐसे में उन्होंने इस बात का हलफनामा कैसे दिया कि प्रमुख सचिव (न्याय) की नियुक्ति के संबंध में भेजे गए तीन पत्रों पर हाईकोर्ट प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। कोर्ट मुख्य सचिव का स्पष्टीकरण आने पर 6 मई को सुनवाई करेगी।

वृहदपीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस वीके शुक्ला, जस्टिस अरुण टंडन, जस्टिस तरुण अग्रवाल, जस्टिस दिलीप गुप्ता, जस्टिस कृष्ण मुरारी व जस्टिस एपी शाही शामिल हैं। कोर्ट का कहना था कि 25 अक्टूबर 2014 को एसके पांडेय पूर्व प्रमुख सचिव (न्याय) का तबादला होने के बाद इस पद पर नियुक्ति नहीं की गयी है। हाई कोर्ट ने इस पद के लिए वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी रंगनाथ पांडेय के नाम की संस्तुति कर शासन को भेजा था, परंतु शासन ने उसका संज्ञान नहीं लिया। इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से हलफनामा मांगा था।

वाराणसी कोर्ट में ग्रेनेड पर जानकारी तलब

सात जजों की वृहद पीठ ने वाराणसी जिला न्यायालय में ग्रेनेड पाये जाने को गंभीरता से लेते हुए जानकारी तलब की है। इसके साथ ही हाई कोर्ट और प्रदेश के सभी जिला न्यायालयों में सुरक्षा के मद्देनजर किये गये इंतजाम की जानकारी देने को भी कहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि हाई कोर्ट में बायोमैट्रिक कार्ड और अन्य सुरक्षा उपकरणों के बारे में क्या कदम उठाये गये। इसके अलावा जिला न्यायालयों और जेलों में वीडियो कांफ्रेसिंग के इंतजाम का क्या हुआ। कितने जिलों में यह व्यवस्था पूरी कर ली गयी है और अन्य जिलों की क्या स्थिति है।

कानपुर में तोड़फोड़ पर कार्यवाही रिपोर्ट मांगी

कानपुर में चार अप्रैल को जिला जज सहित अन्य अदालतों में तोड़फोड़ की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए वृहद पीठ ने वहां के एसएसपी से छह मई तक इस मामले की एफआइआर से संबंधित अब तक की कार्यवाही की जानकारी मांगी है। कानपुर में राम नारायण पांडेय नामक वकील को आपराधिक मामले में रिमांड मजिस्ट्रेट ने जेल भेज दिया था। उनकी जमानत पर सुनवाई को लेकर वकीलों ने बवाल काटा और तमाम अदालतों में तोड़फोड़ कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।

33 डिस्ट्रिक कोर्ट में अबाध आपूर्ति

सूबे के 33 जिला न्यायालयों में गर्मी के दौरान 24 घंटे अबाध विद्युत आपूर्ति की जायेगी। यह जानकारी सात जजों की वृहद पीठ के समक्ष उपस्थित प्रमुख सचिव (ऊर्जा) ने दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश के जिन 33 जिलों में भीषण गर्मी के कारण मार्निग कोर्ट चलती है वहां के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था कर दी गयी है, इसके लिए स्वतंत्र फीडर बनाये गये हैं।