हाईकोर्ट का रुख सख्त, कहा-' जनता से साझा करें खामियों की जानकारी'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिपार्टमेंट आफ टेली कम्युनिकेशन को निर्देश दिया है कि वह मनमाने ढंग से लगाए जा रहे मोबाइल टावरों की जांच के लिए गाइडलाइन तैयार कराए। टावरों की जांच टर्मसेल (टेलीकाम इन्फोर्समेंट एंड मानीटरिंग) एजेंसी करती है। कोर्ट ने कहा है कि दो माह के भीतर इस एजेंसी के लिए गाइडलाइन बनाई जाए।

4जी टावरों पर प्रतिबंध लगे

यह आदेश न्यायमूर्ति डा। डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने आशा मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि 4जी के टावरों पर प्रतिबंध लगाया जाए। कोर्ट ने इस मांग को न मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने इस विषय को गंभीरता से लिया और कहा कि मोबाइल टावरों को लगाने की जगह की जांच का काम सेवा प्रदाता एजेंसी पर नहीं छोड़ा जा सकता। एजेंसी शिकायतों की जांच में मिली जानकारियों को जनता से साझा करे। यदि कोई टावर गलत ढंग से लगाया गया है तो इसकी जानकारी आम जन को भी दी चाहिए।

शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन हो

कोर्ट ने कहा कि इसी तरह जांच करने वाली एजेंसी सेल और उसके अधिकारियों के बारे में जनता को पता होना चाहिए। इसके लिए एक शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया जाना चाहिए। जनता को पता होना चाहिए कि किससे और कहां शिकायत करनी है। शिकायतों की जांच और निगरानी नियमित रूप से होनी चाहिए।

याचिका में कहा या था कि मोबाइल टावरों को रिहायशी इलाके में नहीं लगना चाहिए। एक रिपोर्ट के हवाले से यह बताया गया था कि रेडिएशन किस तरह लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं दे सका जिससे मालूम होता कि रेडिएशन से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। शिकायत प्रकोष्ठ के गठन की बात कोर्ट ने अवश्य मान ली।