इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मडि़याहूं, जौनपुर में सामूहिक नसबंदी शिविर में महिलाओं को जमीन पर लेटाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार व सीएमओ जौनपुर से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने विधि छात्रा दीक्षा द्विवेदी व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि स्वास्थ्य शिविर में 55 महिलाओं की नसबंदी की गयी जिनकी हालत बिगड़ गयी। इस खबर पर निर्भया संगठन की रेणु व स्मृति शोभन ने पीडि़तों से मिलकर रिपोर्ट तैयार की। सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक नसबंदी पर रोक लगा रखी है। भारत सरकार ने भी मानक व प्रक्रिया नियत की है। उपकरणों की सफाई नहीं की जाती जिससे इन्फेक्शन हो जाता है। महिलाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जाता है।

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परिवहन निगम के एमडी को अवमानना नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के रवीन्द्र नायक के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी की है। कोर्ट ने कहा है कि गेटकीपर रहे याची गोविन्द दास का दो साल का बकाया भुगतान किया जाय। यदि इसका पालन नहीं किया जाता तो प्रबंध निदेशक कोर्ट में 27 मई को हाजिर हों। यह आदेश जस्टिस मनोज मिश्र ने गोविन्द दास की अवमानना याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता घनश्याम मौर्या का कहना है कि याची लकवे का शिकार हो गया। उसे पिछले दो साल से वेतन नहीं दिया जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट के साथ अर्जी दी। सुनवाई न होने पर याचिका दाखिल की। कोर्ट ने एमडी को निर्णय का आदेश दिया जिसका पालन न होने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गयी है।