इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बहादुरी दिखाने वाले पुलिस कर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के मामले में पुलिस महानिदेशक को ही अंतिम अधिकार है। वह एसएसपी की संस्तुति को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं। अदालत डीजीपी को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आदेश नहीं दे सकती है। यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन और सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए एकल पीठ के आदेश को संशोधित करके दिया है।

रवींद्र कुमार सैनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल न्यायपीठ ने डीजीपी को याची को आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति देने का आदेश दिया। प्रदेश सरकार ने इस निर्णय को विशेष अपील में चुनौती दी थी। याची मुफ्फरनगर में पुलिस कांस्टेबल था। 19 फरवरी 2004 को पुलिस ने एके-47 से लैस दो आतंकियों को घेर लिया था, मुठभेड़ शुरू हुई तो एक आतंकी मारा गया और दूसरा भाग निकला। इस एनकाउंटर में शामिल रहे पुलिस कर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की संस्तुति एसएसपी ने डीजीपी के पास भेजी। डीजीपी ने सिपाही राजकुमार यादव, प्रवीण कुमार यादव और नसीम को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की संस्तुति स्वीकार कर ली लेकिन याची रवींद्र कुमार सैनी को इस योग्य नहीं पाया गया।

इस पर रवींद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि एनकाउंटर में उसकी भी वही भूमिका थी जो प्रमोशन पाए अन्य कांस्टेबलों की है। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए कहा है कि प्रमोशन पर निर्णय लेने का अधिकार डीजीपी को है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वह याची के मामले में नए सिरे से विचार कर आठ सप्ताह में सकारण आदेश पारित करें।