हाई कोर्ट ने राजीव कुमार की नियुक्ति पर सरकार से मांगा जवाब

उठा सवाल, क्या भ्रष्टाचार के आरोप में सजा पाये व्यक्ति को प्रमुख सचिव बनाया जा सकता है?

पंजाब के पूर्व डीजीपी जेएफ रिबेरो व सात अन्य अधिकारियों ने दाखिल की है याचिका

भ्रष्टाचार के आरोप में सजा पाए व्यक्ति को प्रमुख सचिव जैसे महत्वूर्ण पद पर नियुक्ति दी जा सकती है? इस संबंध में सरकार की क्या नीति है। प्रमुख सचिव (नियुक्ति) महत्वपूर्ण पद है या नहीं? प्रदेश के प्रमुख सचिव नियुक्ति राजीव कुमार की मुश्किलें बढ़ाने वाला यह सवाल बुधवार को हाई कोर्ट ने उठाया और मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करके जवाब देने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह का समय दिया है।

चीफ जस्टिस की बेंच का आदेश

यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चन्द्रचूड तथा जस्टिस एमके गुप्ता की खण्डपीठ ने पंजाब के पूर्व डीजीपी जेएफ रिबेरो व सात अन्य पूर्व अधिकारियों की जनहित याचिका पर दिया है। याचियों का कहना है कि राजीव कुमार को सीबीआई अदालत ने नोएडा भूमि आवंटन घोटाले में दोषी करार देते हुए तीन साल के कारावास की सजा व 50 हजार रुपये जुर्माने की की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने सजा के अमल पर रोक लगा रखी है राजीव कुमार की अपील पर फैसला सुरक्षित है। ऐसे सजायाफ्ता व्यक्ति को प्रमुख सचिव नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण पद पर बनाये रखना उचित नहीं है। याचिका पर अधिवक्ता सतीश चतुर्वेदी ने बहस की। प्रतिवाद प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने किया। महाधिवक्ता का कहना था कि राजीव कुमार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। वरिष्ठता को देखते हुए इस पद पर तैनाती की गयी है। प्रमुख सचिव (नियुक्ति) का पद महत्वपूर्ण नहीं है। इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। याचिका की सुनवाई 26 फरवरी को होगी।