हाईकोर्ट का केंद्र सरकार व एक्साइज विभाग से जवाब तलब

ALLAHABAD: सीनियर एडवोकेट्स से सर्विस टैक्स वसूलने के केन्द्र सरकार के फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट और एक्साइज डिपार्टमेंट से इस पर चार सप्ताह जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका की सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।

कई प्रदेशों में लगी हुई है रोक

यह आदेश जस्टिस वीके शुक्ला तथा जस्टिस यूसी श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनंदन की याचिका पर दिया है। इससे पूर्व गुजरात, दिल्ली, कोलकाता व मद्रास हाईकोर्ट ने भी अधिसूचना पर रोक लगा रखी है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने एक मार्च 2016 को अधिसूचना जारी की है। जिसके तहत वरिष्ठ अधिवक्ताओं को अपनी फीस पर सर्विस टैक्स जमा करने का प्राविधान किया गया है। इस अधिसूचना को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) जी व 265 के विपरीत करार देते हुए रद किये जाने की याचिका में मांग की गयी है। याची अधिवक्ता निशांत मिश्र व तरुण गुलाटी ने अधिसूचना को विभेदकारी मानते हुए समाप्त करने पर बल दिया, क्योंकि यह वकीलों एवं सीनियर वकीलों के बीच भेद करती है।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं को राहत

इनका यह भी कहना है कि अधिवक्ता फीस सेवाकर दायरे में नहीं आती। एक्साइज विभाग की तरफ से अधिवक्ता आरसी शुक्ल व भारत सरकार की ओर से अधिवक्ता अरविंद गोस्वामी ने बहस की। अन्य हाईकोर्टो द्वारा अधिसूचना पर रोक लगाने के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी रोक लगा दी है। इस आदेश से प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।