हाईकोर्ट ने मांगा 6 सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब

>ALLAHABAD: प्रदेश में जाटों को पिछड़ा वर्ग कोटे में शामिल करने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने इस पर प्रदेश सरकार से छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में होगी।

आरक्षण रोकने की मांग

यह आदेश जस्टिस दिलीप गुप्ता तथा वीके मिश्र की खंडपीठ ने मुनेश कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने बहस की। याची का कहना है कि किसी जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वे के आधार पर संस्तुति की जाती है। तैयार डाटा के अनुसार कानून मंत्रालय अपनी राय देता है। इसके बाद उस जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की कार्यवाही की जाती है। याची का यह भी कहना है कि अधिनियम की धारा 9 के तहत निर्धारित प्रक्रिया एवं मानकों की अवहेलना करते हुए जाट जाति के लोगों को पिछड़े वर्ग में गलत तरीके से शामिल कर लिया गया है जो संविधान की मंशा के विपरीत है। कोर्ट ने रामसिंह केस में माना है कि उत्तर प्रदेश सहित नौ राज्यों में जाट समुदाय की जातियां पिछड़े वर्ग की जाति के मानक के अनुरूप नहीं है। निर्धारित मानकों का पालन न करने के कारण जाट जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल किया जाना अवैधानिक है। याचिका में जाटों को पिछड़े वर्ग से अलग कर आरक्षण देने से रोकने की मांग की गयी है।