हाई कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाने पर लगाई रोक, बार कौंसिल से 48 घंटे में जवाब तलब

अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाए गए उत्तर प्रदेश बार कौंसिल अध्यक्ष अनिल सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है। हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे श्री सिंह को कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाने पर 6 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने बार कौंसिल से अविश्वास प्रस्ताव संबंधी पत्रावली तलब की है।

26 को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया

यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन तथा जस्टिस संगीता चंद्रा की खंडपीठ ने अनिल प्रताप सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने बार कौंसिल से 48 घंटे में याचिका पर जवाब मांगा है। पूछा है कि क्या अधिवक्ता अधिनियम एवं बार कौंसिल बाईलॉज में बिना किसी उपबंध के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है? कोर्ट ने कहा है कि प्रस्तुत तथ्यों व दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि जिस सभा ने अध्यक्ष चुना था, उसी ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हटाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया। याचिका पर अनूप त्रिवेदी व बार कौंसिल की तरफ से अधिवक्ता राकेश पांडेय ने बहस की। मालूम हो कि कतिपय अनियमित कार्य करने के आरोप में अध्यक्ष के खिलाफ 26 नवंबर 16 को अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटा दिया गया और उपाध्यक्ष दरवेश सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। इसे याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि आहूत बैठक में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। साथ ही अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाने का कोई उपबंध नहीं है। ऐसे में याची को पद से हटाने का प्रस्ताव रद किया जाय।

मेरे खिलाफ गलत प्रचार किए गए: अनिल प्रताप सिंह

यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष अनिल प्रताप सिंह ने कहा है कि उनके खिलाफ कुछ सदस्यों ने गलत प्रचार किए। उन्होंने कुछ भी अनियमित नहीं किया है। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में कार्यकारिणी द्वारा विधि विरुद्ध तरीके से कई नियुक्तियां की गई थीं, जिसको निरस्त करने के बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इसी तरह परिचय पत्र छापने की निविदा में भी कोई अनियमितता नहीं की गई।