बुंदेलखंड सेवा संस्थान ने दाखिल की है जनहित याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ललितपुर के धौरीसागर गांव के सहरिया वनवासियों की दयनीय दशा को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि जंगल से हटाए गए वनवासियों के पुनर्वास की व्यवस्था एवं मुआवजा भुगतान के सम्बन्ध में क्या कदम उठाए गए हैं।

जमीन भू-माफियाओं ने बेच डाली

यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने बुंदेलखंड सेवा संस्थान की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अभिजीत मुखर्जी व सुष्मिता मुखर्जी ने बहस की। याची का कहना है कि वह मदवारा ब्लाक, ललितपुर में 14 सालों से सहरिया आदिवासियों के लिए काम कर रहा है। वनवासियों का जीवनयापन जंगल की वस्तुओं से हो रहा है। सरकार ने निर्णय लिया था कि विस्थापित वनवासियों को मध्य भारत में बसाया जाएगा। इनकी जमीनें भू-माफियाओं ने बेच डाली तथा इनकी जमीनों पर धोखे से ट्रैक्टर आदि खरीदने के लिए लोन ले लिया।

सस्ते गल्ले की योजना का लाभ नहीं

आदिवासियों को सरकार की तरफ से बीपीएल कार्ड न मिलने से वह सस्ते गल्ले की योजना का लाभ नहीं पा रहे हैं। जिनकी जमीनें अधिगृहीत की गई उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया। बन्डई नदी पर बन रहे बांध के कारण कई लोगों को हटाया गया है। याची का कहना है कि वनवासियों को वनबन्धू कल्याण योजना, वृद्धावस्था पेंशन, इन्दिरा आवास योजना, अन्नपूर्णा अन्त्योदय, समाजवादी पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना, मनरेगा आदि सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।