यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने जारी की है नोटिस

जेपी इन्फ्राटेक कंपनी ने यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी की ओर से जारी 2500 करोड़ रुपये की डिमाण्ड नोटिस की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका की सुनवाई जारी है। अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति केजे ठाकर की खण्डपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कंपनी का कहना है कि सात फरवरी, 03 को अथॉरिटी व याची कंपनी के बीच आगरा से ग्रेटर नोएडा तक 165 किमी हाई वे के निर्माण का करार हुआ। यह तय हुआ कि याची कंपनी जमीन अर्जन की कीमत का भुगतान करेगी। कंपनी ने 13500 करोड़ रुपये सड़क निर्माण में खर्च किए। अगस्त 2012 में राजमार्ग बनकर तैयार हो गया और आम लोगों के लिए खोला गया। योजना की वैधता को चुनौती भी दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने योजना को लोकहित में माना तथा नन्द किशोर गुप्ता केस में अधिग्रहण को वैध करार दिया।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने गजराज सिंह केस में किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने तथा एक प्लॉट देने का आदेश दिया है। भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति बढ़ा हुआ मुआवजा देने की मांग में धरने पर है। भारतीय किसान यूनियन ने भी धरना शुरू किया है। किसान राजमार्ग को टोल फ्री करने के साथ 64.7 फीसद बढ़ा मुआवजा की मांग कर रहे हैं। याची कंपनी का कहना है कि करार के तहत किसानों को मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है। केवल 49 लोगों का विवाद चल रहा है। इन किसानों को कंपनी बढ़ा मुआवजा देने को तैयार है किंतु अथॉरिटी ने 2500 करोड़ की मांग की है ताकि किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जा सके। यह मांग करार के विपरीत है। अथॉरिटी की मांग विधि विरुद्ध है। अथॉरिटी याचिका को लेकर पंचाट में जा सकती है। याचिका की अन्य खामियों को भी आधार बनाया गया। याचिका में डिमांड नोटिस रद करने तथा कंपनी के काम में हस्तक्षेप रोकने की मांग की गई है।