इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव सहित मथुरा बृन्दावन विकास प्राधिकरण, नगर निगम, जलनिगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कारण बताओं नोटिस जारी की है, और पूछा है कि एमसी मेहता केस में सुप्रीम कोर्ट के यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के आदेश का 29 साल बीत जाने के बाद भी पालन न करने पर क्यों न उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी जाय। कोर्ट ने सभी अधिकारियों से 26 अक्टूबर 17 तक स्पष्टीकरण के साथ जवाब मांगा है। कोर्ट ने विकास प्राधिकरण को मथुरा बृन्दावन में यमुना किनारे अतिक्रमण कर हुए अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही जारी रखने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण 15 दिन में 15 अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर रहा है। कोर्ट ने 26 अक्टूबर को कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश जस्टिस अरुण टण्डन तथा राजीव जोशी की खण्डपीठ ने मथुरा के मधुमंगल शुक्ल की जनहित याचिका पर दिया है।