आम आदमी पार्टी ने गलत तथ्य दिये
न्यायालय में यह जनहित याचिका हंस राज जैन ने दायर की थी, जिन्होंने पंजीयन के दौरान आवेदन पत्र में आप द्वारा अशोक चक्र का इस्तेमाल करने पर भी सवाल उठाया था. इतना ही नहीं निर्वाचन आयोग की तरफ से पंजीयन में हुई गड़बड़ी की भी जांच करने की मांग की थी. उनका कहना था कि आप का पंजीकरण जल्दबाजी में बिना पर्याप्त जांच के, झूठे और जाली दस्तावेजों के आधार पर हुआ. इसके अलावा के सदस्यों पर भी गलत पता देने का दावा किया था. उन्होंने याचिका में कहा था कि आप के कुछ सदस्यों ने अपने शपथपत्रों में जो आवासीय पते दिए थे, उनका मिलान जब उनके मतदाता पहचान पत्र या आयकर रिटर्न से किया गया तो उनमें अंतर था. जिससे यह साफ है कि आम आदमी पार्टी ने गलत तथ्य दिये हैं.

हमें इस याचिका में कोई दम नहीं लगा
जिससे इस मामले में कल मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ सुनवाई हुयी. अदालत ने कहा कि ‘‘राजनीतिक दल एक क्लब की तरह होता है’’ और इस संबंध में कानून स्पष्ट है कि अदालतें उसके ‘‘अंदरुनी प्रबंधन’’ में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.ख्ांडपीठ ने यह भी कहा कि हमें इस याचिका में कोई दम नहीं लगा है. हमारे हिसाब से तो इसे पूरी तरह से गलत समझा गया है. इस लिये इस मामले को पूरी तरह से खारिज किया जाता है. इस मामले को खारिज करते हुए अदालत ने याची पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इतना ही नहीं जुर्माना भरने के लिये 3 महीने का समय भी दिया. जिससे उसे तीन महीने के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.


आम आदमी पार्टी ने गलत तथ्य दिये
न्यायालय में यह जनहित याचिका हंस राज जैन ने दायर की थी, जिन्होंने पंजीयन के दौरान आवेदन पत्र में आप द्वारा अशोक चक्र का इस्तेमाल करने पर भी सवाल उठाया था. इतना ही नहीं निर्वाचन आयोग की तरफ से पंजीयन में हुई गड़बड़ी की भी जांच करने की मांग की थी. उनका कहना था कि आप का पंजीकरण जल्दबाजी में बिना पर्याप्त जांच के, झूठे और जाली दस्तावेजों के आधार पर हुआ. इसके अलावा के सदस्यों पर भी गलत पता देने का दावा किया था. उन्होंने याचिका में कहा था कि आप के कुछ सदस्यों ने अपने शपथपत्रों में जो आवासीय पते दिए थे, उनका मिलान जब उनके मतदाता पहचान पत्र या आयकर रिटर्न से किया गया तो उनमें अंतर था. जिससे यह साफ है कि आम आदमी पार्टी ने गलत तथ्य दिये हैं.

 

हमें इस याचिका में कोई दम नहीं लगा
जिससे इस मामले में कल मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ सुनवाई हुयी. अदालत ने कहा कि ‘‘राजनीतिक दल एक क्लब की तरह होता है’’ और इस संबंध में कानून स्पष्ट है कि अदालतें उसके ‘‘अंदरुनी प्रबंधन’’ में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं.ख्ांडपीठ ने यह भी कहा कि हमें इस याचिका में कोई दम नहीं लगा है. हमारे हिसाब से तो इसे पूरी तरह से गलत समझा गया है. इस लिये इस मामले को पूरी तरह से खारिज किया जाता है. इस मामले को खारिज करते हुए अदालत ने याची पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इतना ही नहीं जुर्माना भरने के लिये 3 महीने का समय भी दिया. जिससे उसे तीन महीने के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.

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