स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा पाने के लिए खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा

याचिकाकर्ता हैं केंद्रीय राज्यमंत्री वीरेंद्र खटीक के 89 वर्षीय पिता अमर सिंह, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने गोवा मुक्ति संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। आजादी के 71 साल बाद भी एक केंद्रीय मंत्री के पिता को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल सका। वह सरकार के पास भी गए, लेकिन उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। अब हाई कोर्ट की शरण ली है। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए अमर सिंह से क्षमा मांगते हुए कहा है कि आजादी की लड़ाई लडऩे के बाद आपको अपने हक के लिए लडऩा पड़ रहा है। हाई कोर्ट ने मप्र सरकार को उनके आवेदन पर 45 दिन में निराकरण करने का आदेश दिया है।

केंद्रीय राज्य मंत्री के पिता सक्रिय रूप से शामिल थे गोवा मुक्ति संग्राम में

केंद्रीय महिला बाल विकास राज्यमंत्री वीरेंद्र खटीक के पिता अमर सिंह की ओर से वकील सुयश ठाकुर ने जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में बताया गया अमर सिंह ने गोवा मुक्ति संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। उन्होंने 2014 में मप्र शासन को आवेदन कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने उनके आवेदन को तकनीकी खामी बताकर रद कर दिया। हाई कोर्ट की न्यायाधीश वंदना कसरेकर ने अमर सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए व अधिवक्ता सुयश ठाकुर की तर्को से सहमत होते हुए मप्र सरकार के 22 फरवरी 2014 के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि अमर सिंह को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित करने के संबंध में यथोचित कार्यवाही करे। न्यायाधीश ने आदेश में अफसरशाही पर कटाक्ष किया।

हाई कोर्ट द्वारा क्षमा मांगने का यह रेयर ऑफ द रेयरेस्ट मामला

हाई कोर्ट किसी याचिकाकर्ता से क्षमा मांगे यह दुर्लभ है। आज फ्रीडम फाइटर कितने बचे हैं। यह मामला रेयर ऑफ द रेयरेस्ट है। हाई कोर्ट ने ऑर्डर में कहा है कि ये ऐसे चुनिंदा लोग बचे हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी, जिनके दरवाजे पर जाकर यह सम्मान दिया जाना चाहिए।

-सुयश ठाकुर, अमर सिंह के वकील

Report by : चैतन्य सोनी, सागर

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