-राष्ट्रपति शासन पर अदालत आज सुना सकती है फैसला

-आज केंद्र बीजेपी विधायक भीमलाल आर्य के मामले में कुछ दस्तावेज प्रस्तुत करेगी

नैनीताल

राष्ट्रपति शासन को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई आज भी जारी रहेगी और उम्मीद है कि आज फैसला आ सकता है। बुधवार को कोर्ट में इस मामले को लेकर करीब सात घंटे बहस चली। इस दौरान फिर हाईकोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणियां कीं। राज्य के मामले में केंद्र के हस्तक्षेप को लेकर अदालत रोज तीखी टिपण्णियां कर रही है। बुधवार को फिर अदालत ने कहा कि गलती किसी से भी हो सकती है। गलती जज भी कर सकते हैं और राष्ट्रपति भी। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं हैं।

7 घंटे हुई जोरदार जिरह

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने और केंद्र द्वारा लेखानुदान अध्यादेश लाए जाने को चुनौती देती निवर्तमान सीएम हरीश रावत की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को हाईकोर्ट ने कहा कि देश में कोई राजा नहीं है। कोई सर्वशक्तिमान नहीं है। राष्ट्रपति अच्छा इंसान हो सकता है, राष्ट्रपति के साथ जज भी गलत हो सकते हैं। भारतीय न्यायपालिका में दोनों के फैसलों को चुनौती दी जा सकती है। इससे पहले असिस्टेंट सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि यह कोई इंस्पेक्टर का आदेश नहीं है बल्कि राष्ट्रपति का है।

केंद्र ने कैसे माना बागी उनके साथ

कोर्ट ने यह भी पूछा कि केंद्र सरकार लगातार 35 विधायकों की बात कहते हुए सदन में मौजूद 68 विधायकों में से 35 के मत विभाजन करने को मजबूत आधार बता रही है, जबकि राज्यपाल द्वारा केंद्र को भेजी किसी भी रिपोर्ट में नौ बागी विधायकों का जिक्र नहीं है। ऐसे में केंद्र को कैसे पता चला कि मांग करने वाले 35 विधायक थे।

केंद्र नहीं तय करेगा मत विभाजन

निवर्तमान मुख्यमंत्री की ओर से प्रसिद्ध वकील व पूर्व केंद्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने विधान सभा भंग नहीं की है, निलंबित की है। केंद्र सरकार बिना संसद में राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव पास किए विधानसभा भंग नहीं कर सकती। राष्ट्रपति, राज्यपाल या केंद्र सरकार यह तय नहीं कर सकती कि विधानसभा में मत विभाजन की मांग मानी जाए या नहीं। यह स्पीकर का विशेषाधिकार है। बहुमत का फैसला हाउस में ही होता है। कोर्ट ने इस दौरान सवाल उठाया कि जब एक सदस्य भी विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग करता है तो मत विभाजन होना चाहिए। स्पीकर चाहते तो हाथ खड़े करवा सकते थे, मगर ऐसा नहीं किया गया।

सभी विधायकों से हलफनामा

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमसी पंत ने खुद को उत्तराखंड के आम नागरिक होने का हवाला देते हुए खंडपीठ के समक्ष मांग उठाई कि 18 मार्च को विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा में क्या घटित हुआ, यह जानकारी राज्य के लोगों को होनी चाहिए। कोर्ट में चल रहे मामले से पूरा राज्य प्रभावित हो रहा है। इसलिए प्रत्येक विधायक से उस दिन की कार्रवाई को लेकर हलफनामा लिया जाना चाहिए।

बागी अब भी कांग्रेसी

बागी विधायकों के अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने दलील दी कि विपक्ष के साथ नौ विधायकों ने विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग की। स्पीकर को सरकार अल्पमत होने की जानकारी थी, इसलिए मांग ठुकरा दी। कोर्ट के बाहर द्विवेदी ने कहा कि नौ बागी विधायक कांग्रेस में हैं, वह मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे हैं।