- न हाई कोर्ट के आदेश की परवाह न अस्पताल प्रबंधन के निर्देशों पर अमल

- कैपिटल लेटर में नहीं लिखे जा रहे प्रेस्क्रिप्शन

- डॉक्टर्स धड़ल्ले से लिख रहे बाहर की महंगी दवाएं

देहरादून, हाई कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद दून हॉस्पिटल में मरीजों की पर्ची में डॉक्टर्स का गोलमाल जारी है। डॉक्टर्स धड़ल्ले से सरकारी पर्ची पर प्राइवेट दवाएं लिख रहे हैं। हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा जारी दवाओं की लिस्ट का भी वॉयलेशन किया जा रहा है। कोर्ट ने प्रेस्क्रिप्टशन कैपिटल लेटर्स में लिखने के निर्देश दिए हैं, इनका भी डॉक्टर पालन नहीं कर रहे। इससे स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

कैपिटल लेटर्स में प्रेस्क्रिप्शन के निर्देश

बीते 14 सितंबर को हाई कोर्ट ने राज्य के सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स के लिए एक अहम फैसला सुनाते हुए मरीज को कंप्यूटराइज्ड प्रेस्क्रिप्शन देने के निर्देश जारी किए थे। सरकारी हॉस्पिटल्स में ये व्यवस्था सुचारू होने तक डॉक्टर्स को कैपिटल लेटर्स में प्रेस्क्रिप्शन लिखने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसका असर दून अस्पताल के डॉक्टर्स पर तो फिलहाल नहीं दिख रहा। कोर्ट के निर्देशों का मजाक उड़ाया जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब अस्पताल में ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों की पर्ची देखी तो सब में डॉक्टर्स की अपनी भाषा का इस्तेमाल किया गया था, जिसे समझना किसी के लिए भी आसान नहीं है।

दवाओं को लेकर मनमानी

दून अस्पताल प्रबंधन के लाख दावे करने के बाद भी अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स अपनी मनमानी पर ऊतारु हैं। हाल ये है कि अधिकतर डॉक्टर्स की पर्ची में आधे से ज्यादा दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। इतना ही नहीं कई मरीज तो ऐसे मिले जिनको सारी दवाइयां बाहर की लिखी गई हैं। दून अस्पताल के एमएस डॉ। केके टम्टा ने बताया कि सभी ओपीडी में बैठने वाले डॉक्टर्स को अस्पताल में मिलने वाली दवाइयों की पूरी लिस्ट उपलब्ध कराई जा चुकी है। बावजूद इसके अगर डॉक्टर्स बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं तो ये जांच का विषय हैं।

बाहर की दवाओं पर मार्क

दून अस्पताल में डॉक्टर्स मरीजों की पर्ची पर बाहर से खरीदी जाने वाली दवाओं पर टिक लगाकर मार्क करते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब दून अस्पताल के दवाई वितरण केन्द्र के बाहर मरीजों की पर्ची चेक की तो अधिकतर दवाई बाहर की लिखी मिलीं। 20 वर्षीय अमित रावत को तो डॉक्टर्स ने सारी दवाइयां बाहर की लिख दीं। जबकि 3 वर्षीय मोहम्मद अरबाज के परिजनों को 5 में से 3 दवाइयां बाहर से खरीदने को कहा गया। 30 वर्षीय राम संजीवन को ऑर्थो के डॉक्टर्स ने 7 दवाइयां लिखी जिनमें से 4 बाहर से खरीदने के लिए टिक की गई थीं।

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सभी डॉक्टर्स को अस्पताल में उपलब्ध दवाइयों की पूरी लिस्ट दी जा चुकी है। ऐसे में अगर कोई डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिख रहा है तो ये जांच का विषय है।

डॉ। केके टम्टा, एमएस, दून अस्पताल