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अभियुक्तों को पुलिस टीम ने तिलई बाजार से किया गिरफ्तार

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लाख रुपए मूल्य के नकली नोट बरामद हुए

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कलर प्रिंटर व स्कैनर एवं बरामद मोबाइल को कब्जे में लिया गया

किराए के कमरे में नकली नोट बनाता था नागेंद्र पटेल

इंटेलीजेंस, स्वाट टीम व मऊआइमा पुलिस ने दो को दबोचा, एक भागा

ALLAHABAD: हाईस्कूल फेल नागेंद्र पटेल का कारनामा सुन आप दंग रह जाएंगे। इसने नए नकली नोट बनाने में महारत हासिल की है। अब ये क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में है। शनिवार को साथी रंजीत यादव के साथ इसे गिरफ्तार किया गया। इनके कब्जे से एक लाख 46 हजार रुपए की नकली नोट बरामद हुए हैं। इनके ठिकाने से एक स्कैनर, कलर प्रिंटर, मोबाइल और बाइक बरामद की गई है। पुलिस को अभियुक्तों के एक और साथी की तलाश है जो नकली नोट को मार्केट में खपाता था।

इस तरह बनाने लगा नकली नोट

एएसपी सुकीर्ति माधव ने शनिवार शाम को दोनों को पुलिस लाइंस सभागार में मीडिया के सामने पेश किया। बताया कि नागेंद्र पटेल प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी सिंगाही गांव का निवासी है। रंजीत यादव मऊआइमा के भीमपुर परानू का पूरा गांव का है। नागेंद्र ने करीब दो साल पहले ओडंबर नामक एक चिटफंड कंपनी में 22 लाख रुपये लगाये था। इस रकम में कई हिस्सेदार थे। एक दिन कंपनी सभी का पैसा लेकर भाग गई। इसके बाद नागेंद्र से सभी अपना पैसा मांगने लगे। पैसा वापस न करने पर धमकी मिलने लगी। पुलिस के मुताबिक इसी पैसे को लौटाने के लिए उसने गुनाह की तरफ कदम बढ़ा दिया।

रवि पांडेय ने किया था फाइनेंस

करीब डेढ़ माह पहले उसकी मुलाकात प्रतापपुर के रवि पांडेय से हुई। उसी ने नकली नोट बनाने का आइडिया देते हुए पैसा लेकर स्कैनर, प्रिंटर व अन्य सामान उपलब्ध कराया। इसके बाद नागेंद्र ने मऊआइमा में किराए पर कमरा लिया। इसी कमरे में वह असली नोट को स्कैन कर कलर प्रिंटर के जरिए दो हजार, पांच सौ, दो सौ रुपये और पचास रुपये के नकली नोट बनाने लगा।

मुखबिर ने दी थी सूचना

नकली नोट की भनक पर प्रभारी इंटेलीजेंस बृजेश सिंह, स्वाट टीम प्रभारी बृंदावन राय, इंद्र प्रताप, विनोद, विजय श्रीवास्तव, सुनील, स्वतंत्र, आलोक, विनय, देवेंद्र, थानाध्यक्ष मऊआइमा पंकज सिंह मुखबिरों का जाल बिछाया। मुखबिर ने टीम को खबर दी कि मऊआइमा के तिलई बाजार में रंजीत नकली नोट खपाने के लिए पहुंचा है। जानकारी मिलते ही पुलिस ने उसे दबोच लिया। एएसपी ने बताया कि रंजीत बीए पास है। तीनों मिलकर लाखों रुपये की नकली नोट मार्केट में खपा चुके हैं।

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इस तरह खपाते थे नकली नोट

तैयार नकली नोट को रंजीत बल्क में खपाने का काम करता था

तीसरा साथी भी नकली नोट को असली में कनवर्ट करता था

सबसे ज्यादा नकली को बदलने का काम ट्रक ड्राइवरों से करते थे

एक हजार रुपए के असली नोट के बदले ये दो हजार की नकली नोट देते थे

सौ और 50 की नोट को पकड़ना आसान नहीं था, लिहाजा वे इसे लोकल मार्केट में खपाते थे