बरेली में मौत का high tension जाल

बरेली शहर में चारो ओर फैला है हाईटेंशन वायर का जाल। उसमें दौड़ती है 11 हजार वोल्टेज की करंट। अगर हल्का झटका भी लग जाए तो मौत सामने नजर आएगी। दो दिन में दो जगह हाईटेंशन वायर गिरने की घटना ने अलार्मिंग सिचुएशन की ओर इशारा कर दिया है। बरेली शहर के अधिकतर इलाकों में लगे हाईटेंशन वायर अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में कब ये तार लोगों पर आफत बन कर टूट जाए यह कहा नहीं जा सकता. 

बरेली शहर के उपर मंडरा रही मौत

यूं कहे तो पूरा बरेली शहर के उपर हाईटेंशन मौत मंडरा रहा है। 235 वर्ग किलोमीटर (91 स्क्वॉयर मिल) में फैले बरेली शहर में 2011 के आंकड़ों के मुताबिक करीब 9 लाख पॉपुलेशन पर 7, 616 ट्रांसफार्मर से जुड़ा जर्जर हो चुका हाईटेंशन तार लटक रहा है, जो कभी भी टूट कर गिर सकता है। 11 हजार वॉट का करंट किसी की जान लेने के लिए काफी है।

हाईटेंशन तार की मियाद खत्म

शहर के अधिकतर इलाकों में फैले हाई टेंशन तार की मियाद खत्म हो चुकी है। बरेली सेकेंड डिविजन के एक्सक्यूटिव इंजीनियर मनोज पाठक ने बताया कि, हाईटेंशन तार की मियाद 20 से 25 वर्ष तक की होती है। अगर मनोज पाठक की बताई बातों पर गौर किया जाए तो बरेली शहर पर पोल पर टंगे हाईटेंशन तार पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। क्योंकि यूपी में बिजली का तार बिछना 1948 में शुरू हुआ। इसी के आस पास बरेली शहर में भी बिजली की शुरुआत हुई। यानि की बरेली शहर में हाईटेंशन तार का जो जाल है वह 60 साल से भी अधिक पुराना हो चुका है।

करते हैं पेट्रोलिंग

जर्जर हो रहे हाईटेंशन तार बरेलियंस के जी का जंजाल बन गए हैं। इस संबंध में जब चीफ इंजीनियर हरीश चंद्रा से बात की गयी तो उनका कहना है कि कर्मचारियों द्वारा हमेशा पेट्रोलिंग की जाती है। जर्जर तार का पता चलने पर उन्हें तुरंत रिप्लेस कर दिया जाता है। तककि किसी तरह की कोई अनहोनी न हो। अगर अधिकारियों के इस बात पर गौर करें तो सिटी में हाईटेंशन तार टूटने की वजह से जो हादसे हो रहे हैं वो शायद नहीं होते।

करोड़ों रुपए हाथ में है फिर

विभाग के पास बजट की कमी होती तो एक बार सोचा भी जाता कि हाईटेंशन तार कैसे रिप्लेश होते। मगर विभाग के जेब में करोड़ों रुपए मौजूद हैं। चीफ इंजीनियर हरीश चंद्रा के मुताबिक विभाग के पास फंड के रूप में करीब 30 करोड़ रुपए मौजूद हैं। इसके बावजूद विभाग किस बात का इंतजार कर रहा है कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

क्यों गिरते हैं हाईटेंशन तार

इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर सतीश सिंह बताते हैं कि हाईटेंशन तार गिरने की घटनाएं अमूमन गर्मी के सीजन में होती है। लोड बढऩे के कारण तारों में खिंचाव आता है गर्मी इसे और कमजोर कर देती है, जिसके कारण तार कमजोर पड़ जाते हैं और टूटने की संभावना अधिक हो जाती है। इसके अलावा हाईटेंशन वॉयर के सपोर्ट के लिए कई जगह सपोट्र्स भी होते हैं अगर वे सपोट्र्स ठीक तरीके से काम नहीं करते हैं तब भी तार गिर सकते हैं। ऐसे वायर आंधियों में या तेज हवा के झोकों में भी गिर सकते हैं।

शुक्र है सभी बच गए

अगर आपके घर के ऊपर से 11 हजार केवी इलेक्ट्रिक की लाइन गुजर रही है तो जरा सावधान हो जाइये, क्योंकि हो सकता है कि ये लाइन कहीं आपकी लाइफ की डेड लाइन न बन जाए। बरेली डिस्ट्रिक्ट में पिछले दो दिनों में इलेक्ट्रिक लाइन गिरने की घटनाएं कुछ ऐसे ही डेंजर्स इंडिकेशन दे रही हैं। पिछले दो दिनों में 11 हजार की इलेक्ट्रिक लाइन के वायर नीचे गिरने से छह लोग इंजर्ड हो चुके हैं. 

मार्निंग में हुआ इंसीडेंट

थर्सडे मार्निंग भोजीपुरा पुलिस स्टेशन एरिया में अलीनगर में 11 हजार केवी की इलेक्ट्रिक लाइन का वायर नीचे टूटकर गिर गया। वायर की चपेट में आने से पांच लोग इंजर्ड हो गए। सभी इंजर्ड को ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है। इंजर्ड की पहचान इस्लाम खां, राशिद खां, इरशाद, नगमा के रूप में हुई है। वहीं एक अज्ञात लड़की भी इस वायर की चपेट में आ गई है। इस्लाम खां को ट्रीटमेंट के लिए बरेली डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में व अन्य को भोजीपुरा के ही प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है।

वेडनसडे को भी गिरा था वायर

वेडनसडे को भी भुता पुलिस स्टेशन एरिया में 11 हजार केवी की इलेक्ट्रिक लाइन टूटकर नीचे गिर गई थी। इसकी चपेट में 16 वर्षीय देवेंद्र आ गया था। इंसीडेंट के वक्त देवेंद्र पड़ोसी हीरालाल की दुकान के पास स्टूल पर बैठा हुआ था। देवेंद्र को इंजर्ड कंडीशन में ट्रीटमेंट के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। लाइन नीचे गिरने से पहले तारों में स्पार्किंग हुई थी।

शॉप पर बैठे थे सभी

इंसीडेंट के टाइम सभी इस्लाम खां की परचून की दुकान पर बैठे हुए थे। तभी अचानक उनके ऊपर हाईटेंशन वायर गिर गया। इसमें करंट दौड़ रहा था। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि इस एरिया से गुजर रही 11 हजार केवी की इलेक्ट्रिक लाइन पूरी तरह से डैमेज हो चुकी है। इसकी कंप्लेन भी डिपार्टमेंट में कई बार की गई, लेकिन तार नहीं बदले जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का एलीगेशन है कि जूनियर लाइनमैन ने लाइन के बीच में लगे सपोट्र्स को निकालकर उसे बेच दिया है, जिसके कारण भी लाइन कमजोर हो गई है।

-बरेली का क्षेत्रफल 235 वर्ग किलोमीटर (91 स्क्वॉयर मिल)।

-बरेली की आबादी 2011 आंकड़ों के मुताबिक करीब 9 लाख।

-बरेली में बिजली का आगमन करीब 1948 के आसपास।

-हाईटेंशन तार भी करीब उतना ही पुराना।

-बरेली मंडल में कनेक्शन धारक - 65,2,286

-हाईटेंशन तार की मोटाई 1.2 सेंटीमीटर से  कम।

-घर और हाईटेंशन तार के बीच स्पेस होना चाहिए 5 फीट।

बरेली में हाईटेंशन तार जब से बरेली में बिजली आई है तब की है। कुछ तार को रिप्लेस किया गया है। विभाग के पास करोड़ों रुपए है। अगर विभाग को तार पर 18 करोड़ तक भी खर्च करने पड़े तो किया जाएगा। कर्मचारियों द्वारा हमेशा पेट्रोलिंग होती

रहती है। शिकायत मिलने पर भी जर्जर तार को चेंज कर दिया जाता है।

- हरीश चंद्रा, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग