- आबादी वाले क्षेत्र में 20 किलोमीटर तक फैली है लाइन

- स्कॉडा प्लॉन की बात करे तो अभी दो साल का लग सकता है वक्त

BAREILLY: हाईटेंशन लाइन से हो ही मौत का जिम्मेदार कौन है? पहले कॉलोनी बसी या लाइन बिछी। इसी बात की जंग में मासूम लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हुई हैं। मामला चाहे जो भी है, लेकिन कई किलोमीटर में फैली हुई हाईटेंशन लाइन लोगों को दिन-रात टेंशन दे रही है। पिछले कुछ साल में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मगर अभी तक लाइन की शिफ्टिंग का काम नहीं हो सका है। विभाग यदि अमल करे तो बंच कंडक्टर डाल कर भी लोगों की जान बचायी जा सकती है।

पहले कौन की लड़ाई

जानकारों की मानें तो जगतपुर, संजय नगर, दूर्गानगर और राजीव नगर में हाईटेंशन लाइन पहले से बिछी हुई है। समय के साथ प्लॉटिंग होती गई और घरों की संख्या में इजाफा होता गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि, हाईटेंशन लाइन के नीचे किस आधार पर प्राइवेट बिल्डर्स द्वारा प्लॉटिंग कर दिया गया। प्लॉटिंग के दौरान नगर निगम और बीडीए ने क्यों हस्तक्षेप नहीं किया। हाईटेंशन लाइन के आस-पास रह रहे लोगों का कहना है कि, प्लॉटिंग के दौरान ठेकेदारों और बिल्डर्स ने ये दावे किए थे कि, बाद में हाईटेंशन लाइन को हटा दिया जाएगा।

20 किलोमीटर में फैली है 'मौत'

वैसे हाईटेंशन लाइन करीब 1200 किलोमीटर में फैला हुआ है। लेकिन, हम आबादी वाले क्षेत्र की बात करें तो, हाईटेंशन लाइन 20 किलोमीटर में है। यदि, इनके शिफ्टिंग की बात करे तो प्रति किलोमीटर करीब 8 लाख रुपए खर्च आएगा। हालांकि सांसद, विधायक, नगर निगम, पंचायत निधि से पैसे मिलने पर इस संबंध में कुछ प्रयास किए जा सकते है।

स्कॉडा प्लॉन में अभी वक्त

बिजली विभाग और जन प्रतिनिधि जिस स्कॉडा प्लॉन की बात कर रहे हैं। यदि इस प्रोजेक्ट के तहत भी लाइन शिफ्टिंग और अंडर ग्राउंड लाइन बिछाने का काम किया जाता है तो, दो से तीन साल का वक्त लग जाएगा।

बिजली विभाग अपने तरफ से सुरक्षा की दृष्टि से काम कर रहा है। लोगों को अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी। तभी कुछ हो सकता है। जहां तक हाईटेंशन लाइन की बात है वह करीब 1200 किलोमीटर में है।

पीएम मोगा, नोडल अधिकारी, बिजली विभाग

प्राधिकरण के बनने से पहले जो भवन निर्माण अथवा मोहल्ले बसे थे वहां के भवन बिना किसी नक्शे के बने है। यदि वहां कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार बीडीए नहीं है।

अजय कुमार, डिप्टी सेक्रेटरी, बीडीए