- सरकार, परिवहन आयुक्त, आरटीओ, कुमाऊं व गढ़वाल कमिश्नर से मांगा जवाब

- 20 जुलाई तक देना होगा जवाब

NANITAL: हाईकोर्ट ने बमसैंण-धूमाकोट पौड़ी गढ़वाल में 48 यात्रियों की बस हादसे में मौत के मामले में लापरवाही का संज्ञान लिया है। कोर्ट ने परिवहन सचिव, कमिश्नर कुमाऊं-गढ़वाल, आरटीओ पौड़ी, देहरादून व हल्द्वानी, आईजी कुमाऊं-गढ़वाल से 20 जुलाई तक जवाब मांगा है।

ओवरलोडिंग की वजह से हुई दुर्घटना

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोजफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने बस दुर्घटना का स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने 'इन दी मैटर ऑफ प्रीवेंशन एंड रेगुलेशन ऑफ दी किलर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ऑफ उत्तराखंड लिवस' नाम से जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पहली जुलाई को धूमाकोट में गढ़वाल यूजर्स की बस संख्या यूके-12 पीए 0159 ओवरलोडिंग की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बस में 61 यात्री सवार थे और इसमें से 48 की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसमें दस बच्चे व 16 महिलाएं शामिल थी।

घायलों को समय पर नहीं मिला उपचार

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हादसे की वजह बस में क्षमता से दुगने से अधिक सवारियों होना मानते हुए कहा कि 28 सीटर बस में 61 यात्रियों का सवार होना हादसे को न्यौता देना ही है। इस हादसे के लिए पूरी तरह परिवहन विभाग जिम्मेदार है। हादसे के बाद राहत एवं बचाव कार्य में सरकारी मशीनरी फेल रही है। घायलों को समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाया। यहां यह भी बता दें कि पिछले दिनों की वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने भी सरकार को परिवहन निगम तथा प्राइवेट बसों में ओवरलोडिंग पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे मगर सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 जुलाई अगली तिथि नियत की है।