--रांची में पानी के हाहाकार पर नगर निगम को हाईकोर्ट की फटकार

- स्वास्थ्य विभाग की सहायता से पानी की टंकियों की सफाई का निर्देश

रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने राजधानी रांची में पेयजल के लिए मचे हाहाकार को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार तथा रांची नगर निगम को हर हाल में नागरिकों को शुद्ध पेयजल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश वीरेंदर सिंह और न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में मंगलवार को संबंधित मामले की सुनवाई हुई। एमीकस क्यूरी इंद्रजीत सिन्हा ने स्थिति को अलार्मिग बताते हुए सरकार और खासकर रांची नगर निगम पर सुस्ती बरतने की बात कही।

डीवीसी को भी फटकार

उन्होंने अदालत से कहा कि नागरिकों को शुद्ध और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना निगम का वैधानिक दायित्व है, जिस पर वह खरा नहीं उतर पा रहा। अदालत ने उन्हें अगली तिथि पर रांची की स्थिति पर विस्तृत सुझाव देने को कहा। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता महेश तिवारी ने बताया कि रांची ही नहीं, पूरे राज्य में पानी की समस्या है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है लेकिन सरकार कुछ करती नहीं दिख रही है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप धनबाद के मैथन डैम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह राज्य का सबसे बड़ा डैम है, जिसमें मात्र दो महीने के लिए ही पानी बचा है। मैथन डैम से धनबाद शहर और आस-पास के क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है। जब राज्य के सबसे बड़े डैम की स्थिति इतनी गंभीर है तो और जलाशयों की क्या स्थिति होगी, यह समझा जा सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए माडा और डीवीसी को नोटिस जारी किया और उन्हें अगली सुनवाई तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई बीस अप्रैल को होगी। विदित हो कि हाईकोर्ट राज्य में पेयजल संकट पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।

नगर निगम ने क्या कहा

--रांची में 105 डीप बोरवेल हैं, जिनसे पानी की आपूर्ति की जा रही है।

--127 लघु जलापूर्ति योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि कहीं भी पानी की कमी न हो।

--पानी की किल्लत होने पर कोई भी निगम के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकता है।

--पाइपलाइन और नलकूपों से रांची के लगभग 40 परसेंट लोगों को पानी की आपूर्ति की जाती है।

--हर दिन नगर निगम करीब 240 लाख लीटर पानी की सप्लाई करता है।

कोर्ट ने लगाई फटकार

--सूखे की स्थिति से रातों-रात निजात पाना संभव नहीं है, लेकिन निगम को चैन की नींद सोने नहीं देंगे।

--नगर निगम के अधिकारियों को लगातार काम करना होगा।

--हर सप्ताह टैंकरों और टंकियों की सफाई कराएं, ताकि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

-- 24 घंटे के अंदर हेल्पलाइन नंबर प्रकाशित करे नगर निगम।

--नगर निगम हर वार्ड कमिश्नर से रिपोर्ट लेकर अदालत में पेश करे, अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।